दिल्ली के संतनगर बुराड़ी इलाके में अंधविश्वास का भयावह रूप सामने आया है. 11 सदस्यों का एक संपन्न, शिक्षित, संयुक्त परिवार आत्मापरमात्मा के भ्रमजाल में फंस कर अपनी जान गंवा बैठा.  इसे देख, सुन कर समूचा देश सन्न रह गया. इस घटना ने देश की तमाम सामाजिक, शैक्षिक और वैज्ञानिक तरक्की को धता बता कर समाज के उस अंधकार को उजागर कर दिया है जिस के भीतर यह देश सदियों से डूबा रहा है.

घटना किसी दूरदराज के इलाके में नहीं, बल्कि देश की राजधानी में घटित हुई है जहां सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक विकास के बड़ेबड़े दावे किए जाते हैं. पहली जुलाई को संतनगर की गली नंबर 2 के एक घर में जब 11 सदस्यों के फांसी पर लटके मिलने की खबर मिली तो चारों तरफ सनसनी फैल गई. 100 वर्गगज एरिया में बना दोमंजिला मकान भोपाल सिंह भाटिया का था. भोपाल सिंह की करीब 11 साल पहले मौत हो गई थी. अब इस घर में भोपाल सिंह की विधवा नारायणी देवी (78), उन के 2 बेटे भुवनेश (47), ललित (43), इन की पत्नियां सविता और टीना, विधवा पुत्री प्रतिभा, प्रतिभा की बेटी प्रियंका, भुवनेश के 3 बच्चे नीतू, मीनू और ध्रुव तथा ललित का बेटा शिवम रहते थे.

भाटिया परिवार का एक बेटा दिनेश राजस्थान में और एक बेटी सुजाता पानीपत में अपनेअपने परिवार के साथ रहते थे.

परिवार के सभी 11 लोगों की मौत की पुलिस ने जांच की. घर की मुखिया नारायणी देवी की लाश फर्श पर पड़ी मिली. उन्हें गला घोंट कर मारा गया था. बाकी सभी शव घर में लगे जाल में लटके मिले. उन की आंखों पर पट्टी बंधी थी, मुंह में कपड़ा ठुंसा था और हाथ बंधे हुए थे.

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