कोरोना नहीं हिन्दू मुस्लिम से लड़ रहा देश सोशल मीडिया के मैसेजो से बिगड़ा माहौल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक मैसेजसरकार से मेरा आग्रह है कि...

खाने-पीने की वस्तुओं जैसे सब्जी, फल, नमकीन, जूस, कुल्फी, चाट, मौसमी खाद्य पेय आदि सामग्री को बेचने वाली चलती फिरती दुकानों, हाथ ठेलों, फेरी वालों जैसी अस्थाई दुकानों पर सामग्री विक्रेता का पूरा वास्तविक नाम, मोबाइल नंबर, पता स्पष्ट व बड़े अक्षरों में लिखा हुआ फ्लेक्स प्रिंट बैनर या बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य होना चाहिए तथा वह जिस थाना क्षेत्र में सामान बेच रहा है वहां से सत्यापित प्रपत्र उसके गले में लटका होना चाहिये ताकि खरीदार को जानकारी हो कि उसने खाने का कौन सा सामान किससे लिया है या खायापिया है। यह जानना प्रत्येक क्रेता का मौलिक अधिकार भी है

चूंकि ऐसे विक्रेता अस्थाई होते हैं इनका कोई पता ठिकाना नहीं रहता अतः खाने पीने कि कोई वस्तु को लेकर मिलावट या बीमारी का अंदेशा होने पर व्यक्ति विशेष के बारे में जानकारी हासिल करना सरकार के लिए मददगार होगा. वर्तमान परिदृश्य में संक्रमण की स्थिति में इसे लागू किया जाना अब अतिआवश्यक प्रतीत हो रहा है.

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सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज बडी तेजी से फैल रहे है. यह केवल वायरल मेसजे ही नही है यह समाज पर बहुत असर डाल रहे है. असल मे ऐसे मेसजे का उद्देश्य केवल धार्मिक भेदभाव फैलाना होता है.यह राजनीतिक और सामाजिक ताकतों के द्वारा समर्थित भी होते है.

सोशल मीडिया के भ्रम से बढ़ी समाज मे दूरी

लखनऊ में सब्जी बेचने वाले एक विक्रेता ने अपना हिंदू नाम रख लिया. इस बात की जानकारी वँहा रहने वॉले कुछ लोगो को लग गई. इसके बाद वह लोग सब्जी विक्रेता से अपना आधारकार्ड दिखाने की बात करने लगें. पूरा मोहल्ला वँहा इकट्ठा हो गया। सब्जी वॉले ने आधार कार्ड तो नही दिखाया पर अपना असल नाम बता कर माफी मांग ली और वँहा से चला गया.

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