27 जुलाई को दिल्ली समेत देशभर के कोचिंग संस्थानों को छात्रों के गुस्से का सामना तब करना पड़ गया जब अलगअलग हिस्सों से आईएएस बनने की आकांशा ले कर आए 3 छात्रों की मौत सरकार और कोचिंग संस्थानों की सिस्टमेटिक लापरवाही के चलते हुई. ये 3 छात्र नेविन डोल्विन, तान्य सोनी और श्रेया यादव थे जो राव कोचिंग के बेसमैंट में बनी लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे थे. उन में से केरल के रहने वाले नेविन आईएएस की तैयारी कर रहे थे और वे जेएनयू से पीएचडी भी कर रहे थे. उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव ने अभी एक महीना पहले ही कोचिंग सैंटर में दाखिला लिया था.

बाकी कोचिंग संस्थानों की तरह ही राव कोचिंग सैंटर के बेसमैंट में भी लाइब्रेरी चल रही थी जहां पर पूरी रात छात्र पढ़ाई करते हैं. वहां 150 छात्रों के बैठने की व्यवस्था थी. हादसे के वक्त वहां 35 छात्र मौजूद थे. चंद मिनटों में ही बेसमैंट में पानी भर गया. उस वक्त सभी छात्रों में अफरातफरी मच गई. ऐसे में बहुत से छात्र बाहर निकलने में सफल रहे लेकिन कुछ वहीँ पर फंस गए क्योंकि बेसमैंट में आनेजाने का एक ही गेट था वह भी बायमैट्रिक था जिस से बाहर निकलने में परेशानी हुई. बेसमैंट में पानी निकालने में भी फायर ब्रिगेड को काफी मशक्कत करनी पड़ी. इस के बाद छात्रों के शव मिले. पानी भरने का कारण पाइप फटना और ड्रेनेज सिस्टम को माना जा रहा है. अब वजह चाहे जो भी हो लेकिन कई घरों के चिराग बुझ गए जो बहुत ही दर्दनाक है.

यूपीएससी का गढ़ दिल्ली

दिल्ली का मुखर्जी नगर, ओल्ड राजिंदर नगर, करोल बाग और इस के आसपास के इलाके यूपीएससी कोचिंग सैंटरों का हब हैं. पूरे देश से हजारों युवा आंखों में सपने लिए आते हैं क्योंकि यहां अधिकांश कोचिंग संस्थानों की शाखाएं और 24 घंटे लाइब्रेरियां खुली रहती हैं. यहां आसपास अच्छी किताबें, नोट्स और पढ़ाई से संबंधित हर तरह की सुविधा तुरंत मिल जाती है, इसलिए बच्चों को यहां आ कर पढ़ना ज्यादा सुविधाजनक लगता है.

रहना और खानापीना है महंगा सौदा

यहां रहने के लिया कमरा ढूंढना किसी जंग से कम नहीं है क्योंकि इस के लिए ब्रोकर का सहारा लेना पड़ता है और वे सब मकानमालिक से मिले हुए होते हैं और छात्रों से इस के लिए मनमाना किराया वसूलते हैं. वहीं, किराए वाले कुछ कमरे इतने छोटे और घुटनभरे होते हैं कि वहां गुजारा करना मुश्किल होता है.

वहां खाना बनाने तक की जगह नहीं होती जिस वजह से छात्रों को बाहर खाना पड़ता है. वे बारबार बीमार तक हो जाते हैं. साथ ही, छात्रावासों में उन्हें अस्वस्थ तरीके से बना अपौष्टिक भोजन परोसा जाता है, जबकि इस के लिए मनमाना पैसा लिया जाता है.

महंगी कोचिंग फीस से जेब पर दबाव

यहां जो भी छात्र आते हैं वे इस के लिए मोटा खर्चा करते हैं क्योंकि यहां रहनाखाना तो छोड़िए, पढ़ना भी काफी महंगा है. आप राव कोचिंग सैंटर का उदाहरण लें, यहां जनरल स्टडीज इंटीग्रल फाउंडेशन की फीस 1 लाख 75 हजार रुपए है. इन छात्रों का पढ़ाई से इतर एक साल का खर्च भी लाखों में होता है, जिस के लिए वे पूरी तरह से अपने पेरैंट्स पर निर्भर होते हैं.

इस के साथ ही, पेरैंट्स का उन पर दबाव होता है कि जल्दी ही ये एग्जाम क्लियर करना है, जोकि काफी टेढ़ी खीर होता है और लगातार कई प्रयास में असफल होने पर उन्हें जो मानसिक तनाव झेलना पड़ता है वह अलग. कई तो कर्ज ले कर पढ़ने आते हैं और उन्हें कर्ज पर लगते ब्याज की चिंता भी साथसाथ सताती है. इस तरह कई बार मानसिक तनाव काफी हद तक बढ़ जाता है.

शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहना चैलेंज

दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षा की पढ़ाई कर रही अकोला के गंगानगर इलाके की छात्रा अंजलि गोपनारायण ने 21 जुलाई को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. वह 4 साल से दिल्ली में रह रही थी. पुलिस कांस्टेबल पिता की बेटी अंजलि औफिसर बनने का सपना ले कर दिल्ली गई थी.

पढ़ाई और परीक्षा का तनाव, इन परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियां, ट्यूशन क्लास, होस्टल और दलालों की उगाही से आर्थिक व मानसिक तौर पर परेशान अंजलि ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. उस का पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लियर करने का सपना था. इसी वजह से वह डिप्रैशन का शिकार हो गई थी.

कोचिंग सैंटर बनाम डैथ सैंटर

यहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है जबकि जगह कम. हर क्लास में इतनी भीड़ होती है कि छात्रों को खड़े हो कर क्लास लेनी पड़ती है और जहां सीट होती है वह इतनी महंगी होती है कि जेब इजाजत नहीं देती. इन कोचिंग केंद्रों में छात्रों को विषयों की गहन जानकारी देने के बजाय शौर्टकट सफलता हासिल करने के मंत्र दिए जाते हैं, जिस का फायदा कुछ छात्र उठा ले जाते हैं और कुछ को इस का नुकसान होता है और वे सिर्फ रट्टू तोता बन कर रह जाते हैं.

इस से कुछ ही छात्र सफल होते हैं और कुछ का अत्मविश्वास हमेशा के लिए टूट जाता है और वे इतने मैंटल ट्रामा में आ जाते हैं कि सुसाइड तक कर लेते हैं. परिवार वाले और छात्र अपने स्वर्णिम भविष्य के सपने संजो कर और लाखों की फीस दे कर यहां पढ़ने आते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि उन्हें इस तरह मौत मिलेगी.

सरकारों को है फायदा

24 जुलाई को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाक्टर सुकांत मजूमदार ने राज्यसभा में बताया कि कोचिंग संस्थानों से बीते 5 सालों में जीएसटी कलैक्शन करीब 146 फीसदी बढ़ा है. वित्त वर्ष 2020 में सरकार ने कोचिंग संस्थानों से 2,240.73 करोड़ रुपए की जीएसटी वसूली थी जो वित्त वर्ष 2023 में बढ़ कर 5,517.45 करोड़ रुपए तक पहुंच गई. अब आप खुद ही समझ गए होंगे कि इन कोचिंग संस्थानों से सरकार को कितना फायदा हो रहा है. लेकिन जब जिम्मेदारी लेने की बात आती है तो ये सभी एकदूसरे पर आरोप लगा कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, जैसे कि इस घटना के बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी एकदूसरे पर आरोप लगा रही हैं.

बीजेपी इस के लिए एमसीडी और आप को जिम्मेदार बता रही है. उस का कहना है, इस से संबंधित सभी विभाग इन्हीं दोनों के अधीन आते हैं. तो वहीं आप नेताओं का इस बारे में कहना है कि अफसरों को सजा देने या फिर पुरस्कृत करने का अधिकार एलजी के हाथों में है. सच तो यह है कि न तो इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले हालात नए हैं और न ही सरकारी तंत्र का कोई हिस्सा इस से अनजान है. सवाल यह है कि क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं को होने से रोका जा सकता है या फिर इसी तरह हम होनहार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे.

नियमों का पालन जरूरी

• हादसे की स्थिति में बेसमैंट से बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता भी होना चाहिए.

• सरकारों और स्थानीय निकाय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन किया जाना चाहिए.

• कोचिंग संस्थान के संचालन के लिए भवन नैशनल बिल्डिंग कोड के अनुरूप होना चाहिए.

• छात्रों के पढ़ने के लिए बैठने की व्यवस्था भी पूरी तरह आरामदायक होनी चाहिए ताकि उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी न हो.

• इन सभी जगहों पर सुरक्षा उपकरणों से लैस कैमरे होने चाहिए.

• यहां डबलडोर, हवादार कमरे और पानी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए.

• कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा के मद्देनजर सभी जरूरी चीजें होनी चाहिए.

• कोचिंग संस्थानों में साफ टौयलेट और मौसम के अनुरूप साफ व ठंडा पानी की सुविधा हो.

• कोचिंग संस्थान चलाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र ले कर नगर निकायों से अनुमति लेनी होती है. संस्थान चलाने के लिए 3,000 स्क्वायर फुट क्षेत्रफल न्यूनतम किया गया है. इस का पालन होना चाहिए.

• कोचिंग संस्थान बेसमैंट से ले कर छतों पर अस्थाई ढांचे का निर्माण कर चलाए जा रहे हैं, इस पर रोक लगनी चाहिए.

• सभी वाणिज्यिक और गैरवाणिज्यिक यूपीएससी संस्थान या कोई अन्य संस्थान, कार्यालय, पुस्तकालय या अन्य इकाई में 100 या उस से अधिक छात्रों को समायोजित करने पर एक फायर मार्शल होना चाहिए.

• नियमित मौक ड्रिल आयोजित की जानी चाहिए.

• पुस्तकालयों और पीजी के किराए में कमी, किराया आयुक्त के लिए एक डैस्क और एक औफलाइन व औनलाइन शिकायत निवारण सैल भी होना चाहिए.

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