BJP : 2014 के बाद से सत्तारूढ़ बीजेपी और बीजेपी समर्थित मीडिया लगातार ऐसे मुद्दों को उठाते रहे हैं जिन में देश के मुसलमान सीधे निशाने पर होते हैं. तीन तलाक, एनआरसी, उर्दू विवाद, औरंगजेब की कब्र और वक्फ बिल जैसे गैरजरूरी मुद्दों के नाम पर होहल्ला मचाया जाता है और ऐसे हर मुद्दे में मुसलिम समाज ही टारगेट होता है. बीजेपी की यह चाल हर बार कामयाब होती हुई नजर आती है क्योंकि ऐसे हर मुद्दे में देश का मुसलमान रिएक्ट करता है जिस से बीजेपी के ध्रुवीकरण की राजनीति मजबूत होती है. यही कारण है कि दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र में मुसलमानों की भागीदारी सिर्फ चुनावों तक सीमित हो कर रह गई है.
लोकतंत्र में मुसलमान हिस्सेदारी और भागीदारी से दूर खिसकता जा रहा है. मीडिया, राजनीति, शिक्षा और नौकरियों में मुसलमानों का अनुपात उस की जनसंख्या के अनुपात से काफी कम है. देश कि राजनीति के केंद्र में मुसलमान जरूर है लेकिन देश के लोकतंत्र में मुसलमान हाशिये पर पहुंच चुका है. अगर मुसलमान आज हाशिये पर हैं तो इस के पीछे की वजह क्या है? जब भी यह सवाल उठता है कुछ रटीरटाई बातें सुनने को मिलती हैं कि कांग्रेस कि गलत नीतियों की वजह से मुसलमान आगे नही बढ़ पाया. बीजेपी मुसलमानों से नफरत करती है इसलिए मुसलमान पिछड़ रहे हैं. सच क्या है? मुसलमानों के पिछड़ेपन का असली जिम्मेदार कौन है?
मुसलिम दुनिया आइसोलेटेड क्यों है?
मुसलिम इलाकों की विडंबना यह है कि इस के चारों ओर से एक अदृश्य चारदीवारी होती है. मुसलमान, कल्चरल डाइवर्सिटी को पसंद नहीं करते इसलिए अपने चारों ओर एक ऐसी कृतिम दुनिया बना लेते हैं जिन में सिर्फ इन का ही कल्चर वजूद में रहे. बाहरी दुनिया से सम्पर्क के बिना रोजी रोटी के लाले पड़ जाएंगे इसलिए मजबूरन ही यह दूसरे कल्चर से मेलजोल रखते हैं जिस का खामियाजा यह होता है कि बाहरी कल्चर के लोग इन्हें एक्सेप्ट ही नहीं कर पाते.
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