आज के समय में समाज में अकेली औरतों की संख्या बढ़ती जा रही है. अकेली औरतों में कुआरियां, तलाकशुदा और विधवा महिला शामिल है. करवा चौथ वहीं महिलायें मनाती है जिनके पति होते है. कुछ क्षेत्रों में कुंवारी लड़कियां व्रत रख सकती है वह चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ती है. तलाकशुदा और विधवाएं इस व्रत को नहीं रखती. विधवाओं के लिये तो करवाचैथ का व्रत धर्मिक रूप से मना है. हालात यह होते है कि विधवा महिलाओं को इस व्रत से दूर ही रखा जाता है. एक तरह से देखे तो यह सामाजिक ब्लैकमेल है. हर अकेली औरत के लिये यह धर्मिक अपमानजनक बात है. जैसे जैसे समाज में अकेली औरतों की संख्या बढ़ती जा रही यह हालात सामने आते जा रहे है. अकेली औरतों के सामने करवा चैथ को लेकर कई अपमानजनक हालातों का सामना करना पड़ जाता है.
लखनउ की बहुमंजिली आवासीय इमारत में अलग अलग फ्लैट में अलग अलग तरह के लोग रहते है. इनमें से नेहा अपनी 4 साल की बेटी हिमानी के साथ रहती है. नेहा सिंगल मदर है. शादी के 2 साल के बाद ही उनका पति विशाल से तलाक हो गया था. नेहा ने बिना किसी तरह के विवाद के तलाक ले लिया. वह केवल अपनी बेटी को साथ रखना चाहती थी. नेहा खुद भी एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी तो वह अपनी बेटी की खुद पेरेंट्स बनना चाहती थी. नेहा के लिये तलाक के बाद अपने बल पर बेटी की देखभाल मुश्किल काम था. इसके बाद भी नेहा ने किसी ना किसी तरह बेटी को संभालती रही. 4 साल की उम्र में बेटी अब खुद समझदार हो रही थी. नेहा के लिये अब दूसरी तरह की मुश्किल आ रही थी. बेटी हिमानी कई ऐसे सवाल करने लगी थी जिसके जवाब देना नेहा के लिये मुश्किल हो जाता था.