जिंदगी में कभी भी किसी के साथ कोई बड़ा हादसा हो सकता है.  सैक्सुअल असाल्ट हो या शारीरिक और मानसिक चोट, एसिड अटैक हो या रेप या फिर ऐक्सिडैंट जैसे हादसों से इंसान बहुत संवेदनशील और जज्बाती हो जाता है.  वह अपने साथ हुए हादसे को समझने, उसे सहने और उस से उबरने की जद्दोजेहद में लगा रहता है.

ऐसे में आप का उसे यह विश्वास जताना बहुत जरूरी है कि आप उस के साथ हैं, उस की तकलीफ दिल से महसूस कर रहे हैं और उसे इस ट्रौमा से निकालने में हर मुमकिन साथ देंगे.

कुछ लोग पीड़ित व्यक्ति का हौसला बढ़ाने के बजाय उस के जख्मों को कुरेदने, अनर्गल बातें कह कर उसे और दुखी करने का काम करते हैं. ऐसा करने से बचें. आप उस का दर्द तो दूर नहीं कर सकते मगर उसे भावनात्मक स्पोर्ट दे कर इस दर्द को सहने के काबिल बना सकते हैं.

आप का कोई प्रिय किसी हादसे का शिकार हो जाए तो इन बातों का खयाल जरूर रखें :

ध्यान रखें कि ट्रौमा बारबार वापस आ सकता है : कई बार हादसे की वर्षगांठ या कोई ऐसा शख्स जो अटैक करने वाले अपराधी से मिलताजुलता हो, से मुलाकात होना, हादसे का समाचार मीडिया में प्रमुखता से आना या उस घटना से मिलतीजुलती घटनाओं का बारबार होना पीडि़ता के दिमाग में उस हादसे की यादें ताजा करता है. ऐसे में उसे सालों बाद भी आप के सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है.

उस की बात सुनें : पीडि़ता के दिमाग से इन बातों को दूर करने का अच्छा तरीका है कि उसे इस बारे में हर बात कहने का मौका दें. उस से बारबार सवाल न पूछें, लेकिन वह खुद जो भी कहना चाहती है उसे ध्यान से सुनें. उसे  अपना  क्रोध, हताशा या पछतावा जाहिर करने दें.

गले लगाने से पहले पूछें : यह मानव स्वभाव है कि आप अपने प्रियजन, जो किसी हादसे से गुजरा है, को गले लगाना या बांहों में भर कर रोना चाहते हैं. मगर कई दफा यह सही नहीं होता. खासकर हादसे के तुरंत बाद व्यक्ति फिजिकल टच नहीं चाहता. उसे डेली रूटीन में वापस आने और सामान्य होने के लिए समय चाहिए होता है.

विक्टिम को दोष न  दें :  कुछ लोगों की आदत होती है कि हादसे के बाद पीडि़ता को ही दोष देने लगते हैं कि तू ने ऐसा क्यों किया, इस तरह के कपड़े क्यों पहने, वहां गई क्यों, उस से फाइट क्यों नहीं की, ऐसा क्यों होने दिया वगैरहवगैरह.

रिलैक्स होने में मदद करें : जब कोई शख्स ट्रौमा के दौर से गुजरता है और तनाव भरे पल बिता रहा होता है  तो उसे फिर से रिलैक्स हो कर जीना सिखाना जरूरी है. रिलैक्स होने का जरिया अलगअलग होता है. कोई किताबें पढ़ कर, कोई संगीत सुन कर तो कोई म्यूजिक कंसर्ट्स में जा कर तो कोई बच्चों के साथ खेल कर सुकून पाता है. जरिया कोई भी हो, आप के प्रियजन को जो चीज पसंद हो वह करने को उसे प्रेरित करें.

सपोर्ट ग्रुप से मिलवाएं : जब हम अपने जैसे हादसे के शिकार व्यक्तियों से मिलते हैं तो एक अलग ही तरह का कनैक्शन महसूस करते हैं. समाज में बहुत से ट्रौमा स्पेसिफिक सपोर्ट ग्रुप्स हैं जिन का मैंबर बनने के लिए कोई चार्ज नहीं देना होता. जैसे चाइल्डहुड एब्यूस और सैक्सुअल एसौल्ट, एसिड अटैक आदि.  जितना ही आप का प्रियजन इस ग्रुप के सदस्यों के साथ जुड़ेगा उतनी ही जल्दी वह ट्रौमा के दर्द से रिकवर होता जाएगा.

भूलने को न कहें : पीडि़ता से बारबार सबकुछ भूलने को न कहें. वह इतनी सहजता से कुछ भी नहीं भूल सकती. उसे जताएं  कि आप उस का दर्द समझते हैं और केयर करते हैं.

वापस उसी स्थान पर न ले जाएं जहां क्राइम हुआ था : अकसर पीडि़ताएं  उस जगह पर दोबारा जाने से बचती हैं, जहां उन के साथ हादसा हुआ था. उस स्थान और परिस्थिति के आते ही वे खौफ महसूस करने लगती है. आप को उन के अंदर का यह खौफ दूर करना चाहिए. कुछ  मीठी और अच्छी यादें क्रिएट करें ताकि उन के दिमाग में मौजूद कड़वी यादें हलकी पड़ जाएं.

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