देश के आम और खास को जो समोसों से प्यार करते हों या न, जो समोसे चटनी के साथ खाते हों या फिर बिन चटनी के, जो समोसे गरमागरम खाने के शौकीन हों या फिर जैसे मिल गए वैसे ही, जो समोसे चाय के साथ खाने के शौकीन हों या फिर चाय समोसे के साथ पीने के शौकीन हों, देश के वोटर हों या कि जिन के पास चारचार आधारकार्ड हों, वयस्क-अवयस्क जो भी हों, जो जरा सा भी देशभक्त हों, उन सब के लिए दुखद सूचना है कि जनता के आटे में से चुराए मंत्रीजी के समोसे गुम हो गए हैं. उन के समोसों को ढूंढने के लिए मौजिया विभाग आकाशपाताल एक किए हुए है. उस ने अपना खासों का दस्ता, जो चांद पर घूमने का इच्छुक था, अपने खोजी कुत्तों के साथ चांद पर भी भेज दिया है.

मौजिया विभाग सहित इलैक्ट्रौनिक मीडिया से ले कर प्रिंट मीडिया तक के सारे पत्रकार जनहित की खबरें छोड़ कर मंत्रीजी के समोसों की खोज में अपनेअपने स्तर लीडियाते जुटे हैं. पर एक समोसा हैं कि उन का अभी तक कुछ अतापता नहीं. मंत्रीजी के समोसों को पता नहीं कौन अजगर निगल गया? यह देश के लिए संकट की घड़ी है.

मंत्रीजी का कहना है कि उन्होंने इस बारे में अपने सीबीआई प्रमुख से व्यापक चर्चा की और उन्हें आदेश दिया कि वे दूसरी सारी खोजें बंद कर समोसों पर अपनी आंख केंद्रित करें. गए तो गए, पर आखिर उन के समोसे गए कहां? जनता का बजट जनता तक नहीं पहुंचा, पर वे चुप रहे.

जनता के रोजगार के अवसर जनता तक नहीं पहुंचे, वे चुप रहे. जनता का आटा जनता तक नहीं पहुंचा, वे चुप रहे. जनता के अधिकार जनता तक नहीं पहुंचे, वे चुप रहे. पर अब उन के समोसे भी उन तक नहीं पहुंचे? अब वे चुप रहने वाले नहीं. यदि उन के समोसों का पता नहीं चला तो उन सब को निलंबित किया जाए जिन्हें उन तक समोसे पहुंचाने का काम सौंपा गया था. अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे विभाग बंद करा देंगे. देश वैसे ही आर्थिक ‘खुशहाली’ से जूझ रहा है.

लानत है, हे उन के विभागों के मुस्तैद बड़ेबड़े पेटधारियो, क्या उन्होंने इसलिए तुम्हें बड़ेबड़े पदों पर योग्यों को छोड़ कर बैठाया है कि तुम उन के समोसों तक की रक्षा विपक्ष से न कर सको?

असल में हुआ यों कि मंत्रीजी को नवनिर्मित श्मशानघाट का लोकार्पण कर उसे जनता को समर्पित करना था. उन्होंने जनहित में मुसकराते हुए लोकार्पण किया भी. लोकार्पण के बाद श्मशान निर्माण विभाग द्वारा वहां पर चायसमोसों का कार्यक्रम रखा गया था. पर ऐन मौके पर मंत्रीजी को समोसे समर्पित होने से पहले ही गायब हो गए.

लोकार्पण की सफलता के लिए श्मशान निर्माण विभाग के हैड ने श्मशानघाट पर मंत्रीजी के शुभागमन पर श्मशान घाट का शुभारंभ करने की प्रसन्नता में पार्टी आयोजित करने के सिलसिले में अपने से निचले अधिकारी को उन के पेट के अनुरूप समोसे लाने का आदेश दिया. उन से निचले अधिकारी ने अपने बौस के आदेश की तामील करते हुए समोसे लाने के आदेश अपने से छोटे अधिकारी को सुपुर्द कर दिया. उन से छोटे अधिकारी ने समोसे लाने के आदेश अपने से निचले अधिकारी के गले में बांधा. जब सब से नीचे के अधिकारी को अपने नीचे कोई अधिकारी नहीं दिखा तो उसे बहुत गुस्सा आया. बहुत बदनसीब होता है वह अधिकारी जिस के नीचे कोई अधिकारी न हो. जब वही सब से नीचे का अधिकारी निकला तो मन को मारते हुए उस ने अपने से नीचे के कर्मचारी को समोसे लाने का आदेश दिया.

सब से नीचे का कर्मचारी उछलताउछलता समोसे लाने बाजार गया. वह नौकरी ही समोसों की करता है. उस ने मंत्रीजी के लिए उन की पंसद के समोसे लिए और उन में से 4 समोसे वहीं बैठ कर खा उन्हें भी बिल में लगवा दिया. वह समोसे लाया और औफिस में रख दिए. फिर समोसे कहां गए, किसी को कोई पता नहीं. श्मशानघाट का लोकार्पण करने के बाद ज्यों ही मंत्रीजी के समोसों की ढूंढ पड़ी तो समोसे गायब! मंत्रीजी को ज्यों ही अपने समोसों के गुम होने का पता चला, वे लालपीले हो गए.

उन्होंने तत्काल चहेते अफसरमंडल की आपात बैठक बुलाई. अफसरमंडल की बैठक में उन के चहेतों ने इस बात पर गुस्सा जाहिर किया कि लोकप्रिय मंत्रीजी के समोसे गुम हो जाना सच्ची ही गंभीर मुद्दा है. जिस देश में मंत्रीजी तक के समोसे गुम हो जाएं उस देश की कानून व्यवस्था पर उंगलियां नहीं, हाथ-लात उठने चाहिए.

अफसरमंडल ने तत्काल इसे देश की एक और दुखद घटना मानते हुए एक आवाज में कहा कि संबधित विभाग के हैड के खिलाफ कानूनी जांच की जाए. माना, मंत्रीजी समोसे बिन चटनी के ही खाते हैं, पर अब यह भी पता किया जाए कि समोसों के साथ वाली चटनी कहां है? कहीं उसे रिकौर्ड में लिए बिना चुपचाप चटोरे चाट तो नहीं गए? जब तक भोगप्रिय मंत्रीजी के समोसे नहीं मिल जाते तब तक संबंधित अधिकारी को निलंबित किया जाए ताकि जांच में आंच न आए और समोसों को समोसा किया जाए व चटनी को चटनी. जो चहेता अक्षम अधिकारी मंत्रीजी के समोसों की रक्षा नहीं कर सकता वह जनता के आटे की रक्षा क्या खाक करेगा? मंत्रीजी के समोसों की जांच सीबाआई, सीआईडी से न करवा कर रौ से करवाई जाए ताकि देश की जनता को लगे कि देश में कानून व्यवस्था अभी भी कायम है.

हर आम और खास को यह भी सूचित किया जाता है कि जो भी आम या खास मंत्रीजी के समोसे ढूंढ कर लाएगा या सरकार को यह सूचना देगा कि उन के समोसे किस के पेट में हैं उसे 26 जनवरी को डैमफूल पुरस्कार से दिल्ली में सम्मानित किया जाएगा.

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