अमेरिका भले ही अपने मुल्क के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा पर इतराता हो लेकिन भारतीय मूल की नीना दावुलूरी के ‘मिस अमेरिका’ बनने पर नस्ली टिप्पणियों ने साबित कर दिया कि अमेरिका को नीना की जीत रास नहीं आई. पढि़ए आशा त्रिपाठी की रिपोर्ट.

नीना दावुलूरी के ‘मिस अमेरिका’ बनने पर वहां मचा हंगामा अमेरिकियों की घटिया मानसिकता का परिचायक है. अमेरिकी लोगों ने नीना दावुलूरी के भारतीय मूल के होने के आधार पर नस्ली भेदभाव से प्रेरित टिप्पणियां करते हुए गुस्सा जताया, जो बेहद शर्मनाक है. प्रतियोगिता के जजों ने साफ कहा है कि उन्होंने नीना दावुलूरी को उन की सलाहियतों के नतीजे में 2014 की मिस अमेरिका के खिताब के लिए चुना है.

नीना दावुलूरी के मातापिता मूलरूप से भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के विजयवाड़ा शहर के रहने वाले हैं. कई दशक पहले यह परिवार अमेरिका में जा कर बस गया है. वहां के जनगणना ब्यूरो के 2010 के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में करीब 32 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. उन में से बड़ी संख्या में पेशेवर मैडिकल डाक्टर, सौफ्टवेयर इंजीनियर, वकील, प्रोफैसर और कंपनियों के मालिक हैं. नीना दावुलूरी को निशाना बनाए जाने से बहुत से भारतीय और दक्षिण एशियाई मूल के लोग भी नाराज हैं.

वहीं, दिलचस्प यह है कि कुछ अमेरिकी नस्ली टिप्पणियां कर रहे हैं तो बहुत से अमेरिकी नीना दावुलूरी की जीत पर खुश हैं और नस्ली टिप्पणियां करने वालों की निंदा भी कर रहे हैं. वैसे मिस अमेरिका ने तो पहले ही कह दिया है कि वे नस्ली टिप्पणियों पर तवज्जुह नहीं देतीं.

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