रंग बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली जहां लोग पुराने गिलेशिकवे को भूल कर उत्साह व जोश से आपस में होली मनाते हैं. स्त्री, पुरुष और बच्चे सभी इस त्यौहार का भरपूर आनंद उठाते हैं पर क्या आप को पता है कि एक ऐसा गांव भी है, जहां सिर्फ महिलाएं ही होली खेलती हैं पुरुष और बच्चे नहीं. है ना आश्चर्य...

दिलचस्प गांव

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जनपद के कुंडरा गांव में सिर्फ महिलाएं ही होली खेलती हैं. यहां पुरुषों का होली खेलना वर्जित है. जिस देशविदेश में पुरुष समुदाय होली के दिन रंगों में डूब कर इस का आनंद ले रहा होता है वहीं इस छोटे से गांव में होली के दिन सभी पुरुष खेतों में या किसी दूसरे काम से कहीं बाहर चले जाते हैं.

बच्चे जहां पूरे साल होली खेलने को बेकरार रहते हैं. वहीं कुंडरा गांव के बच्चे होली के दिन साफसुथरे कपड़े पहन कर घरों में ही रहते हैं. जैसे होली न हो दीवाली हो.

होली से दूरी क्यों

कई दशक पहले होली ही के दिन गांव के लोग रामजानकी मंदिर में फागुन गा रहे थे, तभी एक इनामी डकैत मेंबर सिंह ने एक शख्स को गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद इस गांव में कई सालों तक होली नहीं मनाई गई.

महिलाओं की कोशिश

कुछ साल तक तो महिलाएं चुप रहीं, फिर उन्होंने पुरुषों को समझाने की कोशिश की और जब वे नहीं माने तो गांव की सभी महिलाएं उसी रामजानकी मंदिर में इकट्ठा हुईं और फैंसला लिया कि होली के दिन गांव की सभी महिलाएं पूरी रस्म के साथ त्यौहार मनाएंगी. इस में पुरुषों की कोई भागीदारी नहीं होगी. गांव की महिलएं इस दिन पूरी तरह आजाद रहती हैं. साल के 364 दिन जो महिलाएं गांव के बुजर्गों के सामने पर्दे में रहती हैं, वे होली के दिन किसी से घूंघट नहीं करती और होली खेलने का आनंद लेती हैं.

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