एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए जीवन हर रोज किसी हादसे से गुजरने जैसा बन जाता है. जो जुर्म करता है, उसे मुसकुराते हुए अदालत से रिहा होते देखना. फिर से तेजाब से जलाए जाने से कम दुखद अनुभव नहीं होता है. कई बार समाज उन पर ही सवाल उठाने लगता है, तो कई बार पुलिस और सरकार आरोपी के साथ खड़े नजर आते हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से इलाज की सुविधा और मिलने वाली आर्थिक मदद ने पीडि़ताओं में एक नए उत्साह का संचार किया है. हादसे से उबर कर खड़े होने का जज्बा पैदा किया है.

नौकरियों में वरीयता

एसिड अटैक पीडि़ताओं को प्रदेश सरकार सरकारी नौकरियों में वरीयता देने जा रही है. इस की शुरुआत महिला कल्याण विभाग से की जा रही है. पहले चरण में खुद मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों सूबे के 11 जिलों में हाल ही में खुले आशा ज्योति केंद्रों के पदों पर भर्ती में इन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. महिला कल्याण प्रमुख सचिव रेणुका कुमार के मुताबिक एसिड अटैक पीडि़ताओं को कहीं पर भी नौकरी नहीं मिलती है इसलिए प्रदेश सरकार ने आशा ज्योति केंद्रों में होने वाली भर्तियों में इन्हें प्राथमिकता देने का निर्णय किया.

प्राथमिकता के आधार पर

महिलाओं को एक छत के नीचे सभी विभागों की सुविधाएं एकसाथ दिलाने के लिए निर्भया केंद्र की तर्ज पर रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र खुले हैं. इन के संचालन के लिए नियमित नियुक्तियों के दौरान एसिड पीडि़ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी.

 

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