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संपादकीय
कन्यादान
मंजुला के भाई का फोन आया श्रेयसी घर से हमेशा के लिए भाग गई यह सुनकर सभी हैरान हो गए थें.
भाग - 1
18वीं सदी में जी रहे थे भाईसाहब और भाभी. उन के लिए जाति, धर्म, साधुमहात्माओं की बातें ही सर्वोच्च थीं. ऐसे में अपनी बेटी को आधुनिकता की हवा भला कैसे लगने दे सकते थे.
भाग - 2
मंजुला को श्रेयसी का बचपन याद आ रहा था कि किस तरह से उसे पाल पोशकर बड़ा किया था.
भाग - 3
मंजुला उदास मन से श्रेयसी के लिए गहना बनवाकर लाई थी.
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