बिहार के गया जिला के चाकंद गांव में बिजली गिरने से 8 लोगों की मौत हो गई और 7 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. बीते 5 जुलाई की शाम को तेज बारिश से बचने के लिए कई लोग एक बड़े पेड़ के नीचे खड़े थे. उसी समय बिजली गिरने से मौके पर ही 5 लोगों की मौत हो गई और 3 लोगों की मौत अस्पताल ले जाने के दौरान हो गई. पिंकी कुमारी, देवनंदन यादव, अमरजीत, कांग्रेस, गणेश शर्मा, किरण देवी, राकेश और पूनम कुमारी बिजली गिरने से मारे गए. पिछले महीने मानसून की शुरूआत के साथ राज्य की अलग-अलग इलाकों में बिजली गिरने की वजह से 52 लोगों को जान गंवानी पड़ी.
बारिश के मौसम में वज्रपात होना, बिजली गिरना या ठनका गिरना आम बात है. लोग इसे दैविक प्रकोप मानते है. गांवों में यह माना जाता है कि भगवान के गुस्सा होने से बिजली गिरती है. लोगों में यह धरणा भी है कि मानसून की पहली बारिश के पानी में भींगने से चर्म रोग, खुजली आदि ठीक हो जाती है. अगर साइंस की मानें तो बिलजी गिरने की घटना को रोका तो नहीं जा सकता है, पर कुछ सावधनियां बरत कर उससे बचा जा सकता है या उससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
आसमान से बिजली गिरने को लेकर कई तरह के अंधविश्वास भी फैलाए गए हैं. गांवों में आज भी लोग मानते हैं कि ईश्वर के गुस्से की वजह से बिजली गिरती है. कोई यह भी मानता है कि अगर किसी आदमी पर बिजली गिरती है तो उसे पिछले जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाती है. बारिश के मौसम में लोग अपने घरों के आंगन या खेत में काफी गोबर जमा करके रखते हैं, क्योंकि गांवों में यह पोंगापंथ फैला हुआ है कि गोबर पर बिजली गिरने से गोबर सोना हो जाता है. इतना ही नहीं लोगों ने यह अफवाह भी फैला रखी है कि मकान पर बिजली गिरने से छत के ऊपर रखा लोहे का सरिया अष्टधातु में बदल जाता है.
साइंस कहता है कि आसमान में अपोजिट एनर्जी के बादल हवा में घूमते रहते हैं. इन बादलों के आपस में टकराने से की वजह से जो बिजली पैदा होती है, वही धरती पर गिरती है. आकाश में किसी तरह का कंडक्टर नहीं होने की वजह से आसमान में पैदा हुई बिजली कंडटर की खोज में जमीन की ओर भागती है. आकाश से गिरने वाली बिजली जब किसी लोहे के पोल के आसपास से गुजरती है तो वह कंडक्टर का काम कर जाता है. इससे किसी को नुकसान पहुंचाए बगैर बिजली की तरंगे जमीन में समा जाती है. आसमान से बिजली गिरते समय अगर कोई इंसान या जानवर उसके संपर्क में आता है तो बिजली के तेज झटके उसकी मौत हो जाती है. बिजली कड़कने पर 10 लाख वाट प्रति घंटे की गति से बिजली पैदा होती है और इसका टेंपरेचर सूर्य की उफपरी सतह से भी ज्यादा आंका गया है.
डाक्टर दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि आसमान से गिरने वाली बिजली का असर जब इंसानी शरीर पर पड़ता है तो कई टिश्यू जल कर काम करना बंद कर देते हैं. पूरा जिस्म जल जाता है. बिजली के करीब रहने वालों की मौत तय है और उसे कुछ दूरी पर रहने वाले जख्मी हो जाते हैं. बिजली के असर से नर्वस सिस्टम डैमेज हो जाता है और हार्ट अटैक होने की भी पूरी संभवना रहती है. इससे जख्मी होने वालों को भी पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग जाता है.
ऐसे बचें आसमानी बिजली से
– घर की छत पर तड़ित चालक लगाएं, जो बिजली के गिरने पर अर्थिंग का काम करता है और घर और उसमें रहने वालों को कोई नुकसान नहीं होने देता है.
– तेज आंधी और बारिश होने पर कंप्युटर, टेलीविजन, मौडम बंद कर दें और फ्रिज, वाशिंग मशीन, ओवेन आदि बिजली से चलने वाले सभी चीजों की प्लग भी निकाल दें.
– तेज बारिश के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करें.
– नंगे पांव जमीन पर नहीं रहें.
– पेड़ या खुले मैदान में नहीं रहें.
– तेज बारिश से बचने के लिए किसी पेड़ के नीचे नहीं खड़े हों.