धर्म का कारोबार करने वालों ने अब त्योहारों को भी अपना निशाना बना लिया है. लक्ष्मी को मनाने के झूठे भरोसे दिलाने के लिए वे अब तकनीक का सहारा ले रहे हैं. त्योहारों की खुशियों की चमक पर धर्म कैसे अपने अंधकार का ग्रहण लगा रहा है, जानिए इस लेख में.

शिक्षा और विज्ञान की चमक व तकनीकी रोशनी के बावजूद उत्सवों पर खुशियों की चमक के साथ धर्म का अंधकार कम नहीं हो रहा है. स्वार्थ का कारोबार करने वालों ने अब तकनीक को भी अपना सहारा बना लिया है.
दीवाली पर लोगों से धन ऐंठने के लिए इंटरनैट और संचार माध्यमों में धर्म का व्यापार नए रूप, नए रंग में नजर आ रहा है. धर्म का धंधा हाईटेक हो कंप्यूटर, टैलीविजन, मोबाइल के माध्यम से फैल रहा है.
लक्ष्मी को खुश करने के नाम पर इंटरनैट, मोबाइल, टैलीविजन चैनलों के जरिए बेवकूफ बना कर जेबों से मोटा पैसा निकलवाने की कोशिश की जा रही है. लोगों के मोबाइल पर एसएमएस, मेल, इंटरनैट और टैलीविजन पर लक्ष्मी प्राप्ति, सुखसमृद्धि, शांति पाने के भरपूर विज्ञापन देखे जा सकते हैं.
मोबाइल पर कौल कर के एक युवती लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए स्फटिक माला खरीदने का आग्रह करती है. माला की कीमत 2,501 रुपए बताती है और माला घर के पते पर भेजने की बात कहती है, वह गारंटी लेने को भी तैयार है कि माला से दरिद्रता दूर होगी ही.
लक्ष्मी, गणेश, काली माता की कथा की पुस्तकें इंटरनैट पर बिक रही हैं. सुखसमृद्धि के मंत्र, लक्ष्मी को प्रसन्न करने के मंत्र उपलब्ध हैं. धनवृद्धि योग, ऋणमुक्ति उपाय, उल्लू पूजा, गोवर्धन पूजा जैसे ढकोसले व इंटरनैट पर कुबेर यंत्र, लक्ष्मी यंत्र, गणेश यंत्र 2,100 रुपए से ले कर 5,100 रुपए तक के बेचे जा रहे हैं.
दीवाली की ज्यादातर उपहारों पर धर्म का ठप्पा लगा हुआ देखा जा सकता है. मजेदार बात यह है कि चीन ने गैर हिंदू देवीदेवताओं की मूर्तियों व तसवीरों के बाजार पर अपना आधिपत्य जमा लिया है. सुखसमृद्धि के लिए लाफिंग बुद्धा की मूर्तियां खूब खरीदी जा रही हैं. सैकड़ों धार्मिक कारोबारियों की वैबसाइटें दिनरात समृद्धि के ख्वाब दिखा कर लोगों को लूटने में लगी हैं.
लक्ष्मी, सुखसमृद्धि व शांति उपलब्ध कराने के लिए इंटरनैट व टीवी पर पंडित हाजिर हैं जो अपने फोन नंबर दे कर संपर्क करने को कहते हैं. दीवाली की रात लक्ष्मी को प्रसन्न करने का मंत्र और हवनयज्ञ कराने के लिए कौल करें. कर्ज मुक्ति, धन का अभाव, गड़ा धन पाने के लिए पंडितजी से संपर्क करें. सौभाग्यवर्द्धक तांबे का यंत्र, स्फटिक माला, पारद गणेश प्रतिमा घर में स्थापित करें.
चैनलों पर औनलाइन शौपिंग से देवीदेवताओं की मूर्तियां, अंगूठियां, सौभाग्यवर्द्धक रत्न व नगीने बेचे जा रहे हैं. आजकल एक विज्ञापन घरबैठे किसी भी देवीदेवता का प्रसाद मंगवाने के बारे में है. इस विज्ञापन में मोबाइल नंबर दिए गए हैं और केवल मिसकौल करने को कहा गया है. मिसकौल करने पर एक महिला की आवाज आती है और आप देश के किसी भी कोने में बैठे हों, घरबैठे हर देवीदेवता, बड़ेबड़े नामी मंदिरों से प्रसाद भेजने का दावा किया जाता है. प्रसाद
की कीमत 500, 1,000, 2,100, 3,100, 5,100 रुपए तक है.
दीवाली पर खानेपीने और मनोरंजन पर पैसा खर्च करना जायज है पर इस के बजाय लोग लक्ष्मी को मनाने जैसे पंडों के झूठे भरोसे पर ज्यादा धन खर्च कर रहे हैं.
समझना होगा कि धन मेहनत से आता है. हवनयज्ञ, तांत्रिक क्रिया, दानदक्षिणा देने, पत्थर, पारद की मूर्तियां स्थापित करने से नहीं. इस से तो जेब में रखा धन भी कम हो जाता है.

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