सवाल

हमारी शादी हुए 26 साल हो गए हैं, एक बेटा है और एक बेटी. बेटा बचपन से समझदार रहा. कभी परेशान नहीं किया, पढ़ने में होशियार रहा और अब अपने बलबूते पर अच्छी कंपनी में नौकरी कर अच्छा कमा रहा है. लेकिन बेटी शुरू से नकचढ़ी रही है. भाई से भी बातबात पर लड़ पड़ती है. पढ़ाई में ठीकठाक रही है, अब कालेज में पढ़ रही है. कालेज में जब से गई है, उस के रंगढंग ही सम?ा में नहीं आते, न अपने जाने का कुछ बताती है न आने का. कुछ पूछो तो कहती है, ‘वह कोई बच्ची नहीं जो अपना भलाबुरा न समझ सके.’

हम उसे खुश करने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन उसे हमारी कोई भी चीज, कोई भी काम पसंद नहीं आता. कहती है, आप लोगों को आजकल का कुछ भी नहीं पता. समझ नहीं आता कि वह लाइफ में चाहती क्या है. ऐसा नहीं है कि हम पुरानी सोच के हैं. मैं खुद मौडर्न मदर हूं. पति भी फौरवर्ड हैं. बच्चों पर हम ने कभी कोई पाबंदी नहीं लगाई लेकिन इस का कुछ सम?ा नहीं आता कि इतनी उखड़ीउखड़ी सी क्यों रहती है.

जवाब

आप की बेटी उम्र के उस दौर से गुजर रही है, जहां बच्चे को सिर्फ अपना ही अपना दिखता है. उस की अपनी ही दुनिया होती है. घरवालों के बारे में वे नहीं सोचते. कालेज, फ्रैंड्स ये सब बहुत माने रखते हैं.

आप की बेटी महत्त्वाकांक्षी भी लगती है. वह लाइफ में बहुतकुछ चाहती है, जल्दीजल्दी सब हासिल करना चाहती है. उसे लगता है वह बहुत पीछे है और बाकी बहुत आगे निकल रहे हैं.

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