3 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे भाजपा के लिएलौटरी के ईनाम जैसा हैं. लिहाजा, मुख्यमंत्रियों के नाम भी लौटरी की तर्ज पर ही वह तय कर रही है. छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री उस ने अनजाने से विष्णुदेव साय को बनाया है जो आदिवासी समुदाय से आते हैं.

4 बार लोकसभा सदस्य रहे छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री 59 वर्षीय विष्णुदेव साय की इकलौती खूबी यही है कि वे प्रतिबद्ध भाजपाई और जनसंघ की पृष्ठभूमि वाले नेता हैं, यानी हिंदुत्व उन के खून और मिजाज दोनों में है. उन के दादा बुधनाथ साय और ताऊ नरहरी प्रसाद साय भी जनसंघ से विधायक चुने गए थे. चौंकाने का सिलसिला जारी रखते नतीजे के सप्ताहभर बाद जब उन का नाम घोषित किया गया तो छत्तीसगढ़ के सवर्ण नेताओं के चेहरों पर दिखावटी खुशी ही थी.

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को भाजपा ने वीआरएस देते हुए विधानसभा अध्यक्ष जैसा उबाऊ पद देते सम्मानजनक विदाई कर दी है तो अरुण साव और विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाने का भी ऐलान कर दिया. ये दोनों चेहरे भी अनजाने से हैं जिन्हें एक खास किस्म की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी 33 फीसदी के लगभग है जो 90 में से 30 सीटों पर सीधे प्रभाव रखती है. जिस सीट कुनकुरी से विष्णु देव जीते हैं वह सरगुजा संभाग की है जहां की सभी 12 सीटें भाजपा की झोली में गिरी हैं. इतना ही नहीं, हैरतअंगेज तरीके से बस्तर की 12 में से 8 सीटें भी उसे मिली हैं. यानी, इस बार आदिवासी भाजपा पर ठीक वैसे ही मेहरबान रहा है जैसे 2018 के चुनाव में कांग्रेस पर रहा था.

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