Nitasha Kaul: मैं ने किसी पाकिस्तानी से शादी नहीं की है, न ही धर्म परिवर्तन कर मुसलिम बनी हूं. मैं न ही चीन का मोहरा हूं और न ही पश्चिम की कठपुतली हूं. मैं न तो कम्युनिस्ट हूं, न ही जिहादी, न पाक समर्थक, न आतंकवाद समर्थक, न ही भारतविरोधी किसी गिरोह का हिस्सा हूं.

एक साथ इतनी सारी सफाइयां देने को मजबूर 48 वर्षीया सुंदर और आकर्षक महिला का नाम है निताशा कौल, जिन के चेहरे से झलकती मासूमियत और कश्मीरियत उन के अलग कुछ होने की भी चुगली करती है. निताशा गोरखपुर के एक कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्हें कुछ और अलग और खास बनाती है उन की शिक्षा, विचार, तर्कशीलता और एक बौद्धिक आक्रामकता जिस से पूरा दक्षिणपंथ इस कदर डरता है कि उन्हें अपने ही देश में बोलने की इजाजत नहीं देता.

बीती 24-25 फरवरी को भारतीय मूल की निताशा कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित एक कांफ्रेंस में बतौर वक्ता आमंत्रित थीं. इस का विषय था संविधान और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन जिस में देशदुनिया के जानकार आमंत्रित किए गए थे. निताशा उन आमंत्रितों से एक हैं जो इन दिनों लंदन के वेस्टमिन्स्टर विश्वविद्यालय के राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग में प्रोफैसर हैं. उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कालेज से ग्रेजुएशन किया था. इस के बाद साल 2003 में उन्होंने लंदन की ही HULL UNIVERSITY से अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र में पीएचडी किया था.

2007 में नीतिशा ब्रिस्टल बिजनैस स्कूल में असिस्टेंट प्रोफैसर नियुक्त हुईं और 2010 में भूटान के रायल थिम्पू कालेज में भी उन्होंने पढ़ाया. जाहिर है उन की सभी डिग्रियां अनुभव योग्यता और अकेडमिक रिकौर्ड असंदिग्ध है यानी संदेहास्पद और फर्जी नहीं हैं.

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