ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब तक लगभग 90 हजार कांग्रेसी भाजपा जौइन कर चुके हैं और यह सिलसिला लगता है तब तक चलता रहेगा जब तक कांग्रेस, खासतौर से, ब्राह्मणविहीन नहीं हो जाती. क्यों रोजरोज कांग्रेसी, खासतौर से सवर्ण और उन में भी ब्राह्मण, भाजपा में जा रहे हैं?

बौक्सर विजेंद्र सिंह, गौरव भाटिया, जितिन प्रसाद, अमरिंदर सिंह, परनीत कौर, नवीन जिंदल, सावित्री जिंदल, सुरेस पचौरी, हेमंत बिस्वा शर्मा, आलोक चंसोरिया, शैलेंद्र रावत, मनीष खंडूड़ी, महेश शर्मा, अशोक चव्हाण, वसव राज पाटिल, नारायण राठवा, कृष्णमूर्ति हुड्डा, हार्दिक पटेल, सुनील जाखड़, अल्पेश ठाकोर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, ललितेश त्रिपाठी, मिलिंद देवड़ा, रीता बहुगुणा जोशी, शेखर तिवारी, अरुणोदय चौबे, संजय शुक्ला, शशांक भार्गव और हिमांशु व्यास वगैरहवगैरह.

अब नजर मध्य प्रदेश पर डालें तो पहेली एक हद तक सुलझती हुई नजर आती है कि कांग्रेसी सवर्ण और ब्राह्मण इसलिए कांग्रेस छोड़ कर भाजपा जौइन नहीं कर रहे हैं कि कांग्रेसी कड़ाहे में सत्ता की मलाई खत्म हो चली है या कथित तौर पर कांग्रेस में ब्राह्मणों का पहले सा आदरसम्मान नहीं रहा व उन की अनदेखी की जा रही है बल्कि सच सनातन और शाश्वत यह है कि डाक्टर राजेंद्र प्रसाद, गोखले, तिलक और बनर्जी, चटर्जी, आगरकर व मुखर्जी की इन ब्राह्मण-सवर्ण संतानों को मंदिर चाहिए, वर्णव्यवस्था चाहिए, धर्म का राज चाहिए, मूर्तियां चाहिए और दक्षिणा चाहिए, जिन की गारंटी आज की तारीख में सिर्फ भाजपा दे रही है. इसे ही समझने वाले मोदी की गारंटी समझते हैं. बाकी सब तो मिथ्या है और सार्वजनिक मंच से दिए जाने वाले राजनीतिक भाषण हैं जो दलित, पिछड़ों और आदिवासियों के कानों को प्रिय लगने वाले होते हैं.

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