Fitness Tips : मिसेज राणा अयूब बैंक की जौब से सेवानिवृत्त होने के बाद भी खुद को चुस्तदुरुस्त और ऊर्जावान बनाए रखने की पूरी कोशिश करती हैं. सुबह जल्दी उठ कर टेरेस पर जा कर थोड़ी एक्सरसाइज करना और फिर अपने ढेर सारे पौधों में पानी देना उन के नित्यकर्म में शामिल है.
जब से बेटे की शादी हुई और घर में बहू आई है, किचन के काम से उन को फुर्सत मिल गई है. पहले जौब पर जाने की जल्दी के साथ सुबह के चायनाश्ते से ले कर रात के डिनर तक की चिंता उन्हें अकेले ही करनी पड़ती थी. अब ये जिम्मेदारी उन की बहू ने उठा ली है तो मिसेज राणा के पास काफी समय खुद को देने के लिए बचता है.
ऐसे में एक दिन उन्होंने पड़ोस की कुछ महिलाओं के साथ सुबह की सैर की योजना बनाई. फिर क्या था जल्दी ही कुछ महिलाओं से उन की दोस्ती भी हो गई. अलसुबह पांच छह महिलाओं के साथ मिसेज राणा भी पास के एक पार्क की सैर को जाने लगीं. शुरू के कुछ दिन तो उन को बहुत अच्छा लगा. ताजीताजी हवा, नयीनयी सहेलियां, हंसीठिठोली लेकिन धीरेधीरे मिसेज राणा उस ग्रुप से उकता गईं.
वजह ये कि ज्यादातर महिलाएं जो लगभग उन्हीं की उम्र की थीं और जिन के घरों में बहुएं थी, सब की सब अपनी बहुओं की बुराइयां करने में ही लगी रहती थीं. ऐसा लगता था जैसे उन को अपने मन की भड़ास निकालने के लिए और कोई मिलता ही नहीं है. पार्क की सैर कर के जब सब वहां पड़ी बेंचों पर सुस्ताती, तब भी उन के बीच बहू पुराण ही चलता रहता. उन की बातों से तंग आ कर जल्दी ही मिसेज राणा ने वह ग्रुप छोड़ दिया.
वे कुछ दिन घर पर ही रहीं, फिर उन्होंने अपने पति को मौर्निंग वाक में साथ चलने के लिए राजी कर लिया. पर कुछ दिन बाद पति के साथ वाक करने में भी उन को ऊब लगने लगी. मिस्टर राणा भी वही घरगृहस्ती की बातों में उलझे रहते थे. वहां से निकले तो सेविंग और खर्चों की चिंता में उलझ जाते. जबकि मिसेज राणा चाहती थीं कि कम से कम सैर के वक्त तो आदमी कुछ हलकीफुलकी हंसीमजाक की बातें करे ताकि मन प्रसन्न, चिंतामुक्त और हल्का हो जाए.
कुछ दिन बाद मिसेज राणा अयूब अकेले ही वाक के लिए जाने लगीं. एक दिन उन की मुलाकात रंजन जोशी से हुई. रंजन उन के पुराने पड़ोसी थे और उन्हीं की उम्र के थे. रंजन जोशी के साथ उस रोज की वाक काफी अच्छी रही. वे अपने डौग को भी साथ लाते थे जो काफी क्यूट था. फिर रंजन अक्सर ही मिलने लगे और वे साथ में सैर करने लगे.
रंजन काफी प्रकृति प्रेमी थे. कवि भी थे. कभीकभी अपनी कविताएं भी सुनाया करते थे. फूलों की क्यारियों के पास रुक कर फूलों के विषय में बातें करते थे. उन की बातों में मिसेज राणा को कभी चिंता, तनाव, दूसरे की बुराई, किसी तरह की राजनीति या किस तरह की नकारात्मकता का अहसास नहीं होता था. लिहाजा उन की अच्छी दोस्ती हो गई.
पार्क की ओपन जिम में लगे झूलों पर भी दोनों काफी समय तक एक साथ एक्सरसाइज भी करने लगे. बहुत दिनों के बाद मिसेज राणा को सैर का सच्चा साथी मिला. लगा जैसे जीवन में कुछ समय तो रोचक और चिंताओं से मुक्त है. रंजन की सलाह पर राणा ने बहू से कहकर अपने लिए ट्रैक सूट और जूते भी मंगवा लिए. इन कपड़ों में जब वे वाक के लिए निकलीं तो लगा जैसे कुछ अतिरिक्त ऊर्जा उनके भीतर हिलोरे मार रही थी.
वे खुद को पहले से ज्यादा फिट और जवान सा महसूस कर रही थीं. जो खुशी उन को जीवन भर नहीं मिली वह सुबह सैर के दो घंटों में मिल रही थी. वजह थी सैर के लिए एक अच्छे साथी का मिलना.
सुबह की वाक न सिर्फ आपका मूड बेहतर बनाती है बल्कि आप के मस्तिष्क को भी तरोताजा रखती है. जिस के चलते आप फिजूल की परेशानियों से बच जाते हैं. लेकिन शर्त यह है कि सैर का साथी आप के मन माफिक होना चाहिए. आजकल के लोग शरीर से ज्यादा मानसिक समस्याओं, मानसिक बीमारियों में उलझ गए हैं. दिन भर की टेंशन, रिश्तों में तनाव, घर और जौब की परेशानियां. ये सभी शारीरिक से ज्यादा मानसिक रूप से परेशान करती हैं. ऐसे लोग जब किसी दूसरे से मिलते हैं तो अपनी परेशानियां और चिंताएं उन को बांटते हैं. ऐसे में उन के साथ सैर करने का कोई फायदा नहीं, बल्कि नुकसान होने की ज्यादा संभावना रहती है. कई बार आप उन की चिंताएं खुद पर ओढ़ कर आ जाते हैं और अपनेआप को तनावग्रस्त कर लेते हैं. याद रखें तनाव अनेक बीमारियों और झगड़ों की जड़ है.
सैर पर साथ जाने के लिए अगर अच्छा साथी मिल गया तो बहुत अच्छा, लेकिन नहीं मिला तो भी आप अपनी सैर को अन्य तरीकों से रोचक बना सकते हैं. बस कुंठित, घृणित विचारों वाले, चुगलियां करने वाले लोगों को खुद से दूर रखिए. अगर आप अकेले सैर पर जाते हैं तो जरूरी नहीं कि रोज एक ही रास्ते पर जाएँ या एक ही पार्क की सैर रोज करें.
हर दिन एक ही रास्ते पर चलने से बोरियत होने लगती है. इस से बचने के लिए हर दिन किसी नए रास्ते पर जाइए. अलगअलग रास्तों पर चलने से आप को नए दृश्य देखने को मिलेंगे और आप अपने आसपास की दुनिया का पता लगा सकते हैं. आप पार्क, नदी के किनारे, या शहर के अलगअलग हिस्सों में चल सकते हैं और अपनी सैर को रोचक बना सकते हैं.
सुबहसुबह अलगअलग समय पर चलने से आप को अलगअलग अनुभव हो सकते हैं. आप सूर्योदय के समय चल सकते हैं, जब आसमान रंगीन हो रहा होता है, या आप सुबहसुबह चल सकते हैं जब वातावरण बिलकुल शांत होता है. कभीकभी शाम की सैर भी करें जब सूरज ढल रहा हो.
आप अपने वाक को एक चुनौती में बदल सकते हैं, जैसे कि एक निश्चित दूरी तक चलना या एक निश्चित समय में चलना. आप एक दोस्त या परिवार के सदस्य के साथ प्रतिस्पर्धा भी कर सकते हैं कि कौन सब से तेज या सब से अधिक दूरी तक चल सकता है. इस से ऊर्जा भी बढ़ती है और जीवन के प्रति सकारात्मकता का उदय होता है.
आप अपने वाक को एक खेल में बदल सकते हैं, जैसे कि एक ‘वाक एंड टाक’ सत्र, जहां आप अपने दोस्त या परिवार के सदस्य के साथ चलें और बात करें. पुराने कालेज के समय को याद करें. पुराने प्रेम प्रसंगों को छेड़ें. आप एक ‘पिक्चर वाक’ भी कर सकते हैं, जहां आप रास्ते में सुंदर दृश्यों की तस्वीरें खींचें. प्रकृति की सुंदरता के बीच खड़े हो कर सेल्फी लें. उन्हें सोशल मीडिया में शेयर करें. रिश्तेदारों को व्हाट्सएप करें.
संगीत सुनने से भी आप की मौर्निंग वाक मजेदार हो सकती है. वाक करते हुए आप अपने पसंदीदा गाने या पौडकास्ट सुन सकते हैं. सुरों के साथ चाल मिला कर देखिए आप खुद को हवा में उड़ता हुआ महसूस करेंगे.
सुबह की सैर सेहत को कई तरीके से फायदे पहुंचाती है. यह आप की फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों का ध्यान रखती है. वाक को रुटीन का हिस्सा बना लेने से आप की मांसपेशियां और हड्डियों को मजबूती मिलती है. वहीं, शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है. हालांकि, वाकिंग के ये सारे फायदे तभी मिल पाते हैं, जब आप सुबह की सैर सही तरीके से और सही साथी के साथ करेंगे.