"राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद की एक समिति से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के 12 सदस्यों द्वारा बार-बार आसन के समीप आकर नारे लगाकर और सदन की कार्यवाही बाधित करके कथित रूप से विशेषाधिकार का हनन करने के मामले की जांच करने को कहा है." संपूर्ण खबर पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि यह बेवजह की कवायद शुरू हो रही है . लाख टके का सवाल है कि अगर विपक्ष विरोध प्रदर्शन भी नहीं करेगा तो फिर किस तरह अपनी भावनाओं को देश के समक्ष कैसे रखेगा.ऐसे में तो एक जांच आयोग सम्मानीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ भी बन सकता हैं राजनीति में आने के बाद और भाजपा के संरक्षण में आपके संपूर्ण कार्य व्यवहार को अगर देखा जाए तो कई फैसले और बातें ऐसी हैं जो जांच का विषय हो सकती हैं. आपने भी तो एक आवरण ढक उखा है आपने भी तो मैंने मोदी और भारतीय जनता पार्टी के लिए पद पर रहते हुए मानो आखे बंद कर ली है.

जैसे हाल ही में आपने उच्चतम न्यायालय को लेकर के बयान दिया था जो चर्चा में था, आपने किसानों के संदर्भ में भी जो व्यवहार संसद में किया था और कानून रातों रात पारित कराया गया था उस पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया था और अंततः सरकार की किरकिरी हुई थी , नरेंद्र दामोदरदास मोदी की केंद्रीय सरकार को तीन कानून वापस लेने पड़े थे . 12 सांसदों के व्यवहार की जांच को लेकर के जो खबर देश के सामने है उसके अनुसार नौ सदस्य कांग्रेस के और तीन आम आदमी पार्टी (आप) के हैं.

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