नतीजे आए 14 दिन से भी ज्यादा और सरकार बने सप्ताहभर हो चुका है लेकिन सबकुछ पहले जैसा नहीं है. ईडी, सीबीआई, आईटी वगैरह के कहीं अतेपते नहीं है कि ये विभाग चल भी रहे हैं या बंद हो गए हैं जिन से न्यूज चैनल गुलजार रहते थे. हर कभी सनसनाती ब्रेकिंग न्यूज़ आती थी कि फलां मुख्यमंत्री या बड़ा नेता गिरफ्तार, फलां को रिमांड पर लिया और अमुक के घर छापेमारी की तैयारी चल रही है, बहुत जल्द बड़ा धमाका होने को है. बने रहिए हमारे साथ...

देश ‘अब कुछकुछ सन्नाटा क्यों है भाई’ की तर्ज पर चल रहा है. कोई नेता दलबदल नहीं कर रहा. शपथ के बाद कोई मंत्री ढोल धमाके के साथ मंदिर नहीं गया. नही तो अंदरूनी तौर पर चर्चा यह थी कि 370 न सही, अगर 300 भी पार कर गए तो मोदी जी तमाम भाजपा सांसदों और कैबिनेट सहित अयोध्या, प्रभु श्रीराम की नगरी, जा कर उन का आभार व्यक्त करेंगे ठीक वैसे ही जैसे मध्यप्रदेश जीतने के बाद गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र के निर्देशों पर मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने कैबिनेट सहित अयोध्या गए थे. लेकिन अब अयोध्या वाली फ़ैजाबाद लोकसभा सीट पर ही मुंह की खानी पड़ी और उस से भी ज्यादा हिकारत की बात, सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे सैक्युलरों का सहारा लेना पड़ा जिन के दीन, ईमान और धर्म का कोई ठौरठिकाना नहीं.

नीतीश कुमार तो घोषिततौर पर पलटूराम हैं . करवाचौथ का व्रत पूरे विधिविधान से रखते हैं लेकिन जिस के नाम पर दिनभर निर्जला रहते हैं, रात को उस की जगह छलनी में चेहरा किसी और का दिखता है और सुबह उठते हैं तो पहलू में कोई और होता है. इसलिए उन का कोई भरोसा नहीं, बकौल लालू यादव, नीतीश दोमुंहा सांप है. अब सरकार बनाने के लिए इसे गले में लटकाना मजबूरी हो गई थी, सो, भाजपा ने नीलकंठ को याद करते लटका लिया. आगे जो होगा, सो देखा जाएगा.

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