आम आदमी... दुनिया आज हतप्रभ है. अफगानिस्तान में जिस तरह तालिबान ने हथियारों के दम पर देश पर कब्जा कर लिया वह एक ऐसा उदाहरण है जो मानवता के लिए चुनौती बन गया है. अभी तक जो सच सामने हैं वह यह बताता है कि तालिबान एक क्रूर शासन व्यवस्था है. जिसमें महिलाओं के लिए शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं है, जहां बंदूक की नोक पर सत्ता का संचालन होता है. और न्याय व्यवस्था ऐसी है जो सैकड़ों हजारों साल पहले हुआ करती थी.

अगर किसी ने चोरी कर ली तो उसके हाथ काट दीजिए पैर काट दीजिए ताकि दोबारा वह या अपराध न कर सके. अगर किसी ने प्यार किया है जो उनके कानून के अनुसार के व्यभिचार है तो उसे पत्थर मार मार सके मौत की नींद सुला दिया जाए.

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मगर समय काल के चक्कर में जिस तरीके से समय का पहिया घूमता हुआ आज आधुनिक दुनिया का स्वरूप धारण कर चुका है. ऐसे में सिर्फ आतंक बंदूक और खून खराबे से देश की व्यवस्था का संचालन एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब आज न तो दुनिया के थानेदार अमेरिका के पास है और ना ही दुनिया की दूसरी महाशक्तिओं चीन, फ्रांस ब्रिटेन के पास, ऐसी परिस्थितियों में दुनिया देख रही है कि किस तरह तालिबान के लड़ाके खून खराबा करते हुए सत्ता पर कब्जा करते चले गए और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अब्दुल गनी रूपयों के बैग लेकर के गायब हो गए.
आज यह सब अगर हो रहा है तो दुनिया के बड़े झंडाबरदार जो मौन बैठे हुए हैं उनसे मानवता जवाब मांग रही है.

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