दिल्ली महज देश की राजधानी नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम भी है. दिल्ली को आप लघु भारत भी कह सकते हैं. फर्राटा भरती मेट्रो, सड़कों पर दौड़ते वाहन, चांदनी चौक के पराठे, पुरानी दिल्ली की सकरी गलियां, गालिब का शहर, भारत का भविष्य तय करती संसद, शूरवीरों की गाथा सुनाता इंडिया गेट, कनॉट प्लेस में लंबी गाड़ियों वाले लोगों की जमात और वहीं पर इश्क लड़ाते नौजवान…

अभी भी बहुत कम बताया है दिल्ली के बारे में…दरअसल दिल्ली को लफ्जों या अल्फ़ाजों में बयां करना बेहद मुश्किल काम है. यहां की तासीर इतनी खूबसूरत है कि हवा में जहर घुले होने के बावजूद इस खुशबू से दूर जाने का दिल नहीं करता. कमोबेश आज मेरी दिल्ली सुलग रही है. हालात यहां तक बिगड़ चुके हैं कि लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- जाफराबाद और चांदबाग में भी CAA के खिलाफ प्रदर्शन

उत्तर पूर्वी दिल्ली में पिछले चार दिनों से फैली हिंसा के कारण दहशत का माहौल है. लोग अब भी घरों से निकलने में डर रहे हैं. सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर, कबीरनगर, विजयपार्क आदि इलाकों में ऐसा ही माहौल है. लोग काम धंधों पर जाना बंद कर चुके हैं. हालांकि, तीसरे दिन स्थिति तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में है. कई दुकानों में हुई लूट के कारण लोग अब अपनी दुकानें और घर बचाने के लिए रतजगा करने को मजबूर हैं.

विजय पार्क में रहने वाले विजेंद्र कुमार ने बताया, “सोमवार की रात मोहल्ले में उपद्रवियों के हमले के बाद से लोगों में डर और दहशत का माहौल है. हम मारकाट नहीं चाहते, लेकिन रात-रात भर जागकर डंडा लेकर घरों की रखवाली करने को मजबूर हो गए हैं. क्योंकि कब कौन आकर के घरों और दुकानों पर हमला कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता. डंडे थाम कर हम भले ही उपद्रवी की तरह दिखते हो सच पूछिए तो हमारे लिए मजबूरी हो गई है डंडे थामना. अपना सिर्फ घर बचाना चाहते हैं.”

मोहल्ले के ही राहुल ने कहा कि वो कॉल सेंटर में जॉब करते हैं. नाइट ड्यूटी करते हैं। लेकिन डर के मारे जाना बंद कर चुके हैं. अपने बॉस को मेल कर घर से ही काम करने की इजाजत मांग चुके हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार को ललकारते छात्र

जाफराबाद के इरशाद हिंसा के कारण रोजी रोटी पर असर पड़ने की बात कहते हैं. जूस की दुकान चलाने वाले इरशाद ने कहा कि रविवार से ही उनकी दुकान बंद चल रही है. हर रोज कम से कम वह हजार रुपए कमा लेते थे, मगर यह मामूली सी कमाई भी अब नहीं हो रही है दुकान में ताला डालना मजबूरी हो गई. हमारे जैसे तमाम दुकानदारों का भी यही हाल है.

सीलमपुर रेड लाइट पर दो दर्जन से अधिक दुकानें हैं लेकिन इसमें सिर्फ एक दुकान खुली है चाय और पकौड़ी की. चाय पकौड़ी की दुकान पर भी खरीददारों की संख्या बड़ी कम है. आज के लिए मीडियाकर्मी इस दुकान के लिए कस्टमर बने हैं. दुकानदार का कहना है कि तनाव पैदा होने के बाद से राहगीरों ने सीलमपुर से जाफराबाद मौजपुर वाले रोड पर आना जाना कम कर दिया है.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया में मुफ्तखोरी का ढिंढोरा कितनी हकीकत कितना फसाना?

प्रधानमंत्री के निर्देश पर मंगलवार की रात से लेकर बुधवार को 16 घंटे का ऑपरेशन चलाकर अजित डोभाल ने उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के बेकाबू होते हालात को काबू में किया. मंगलवार की रात साढ़े 11 बजे और बुधवार को साढ़े तीन बजे दो बार वह उत्तरी-पूर्वी डीसीपी दफ्तर पहुंचे. इन 16 घंटों में डोभाल ने पुलिस, अर्धसैनिक बलों की ठीक संख्या में तैनाती, दोनों पक्षों के प्रभावशाली लोगों और धर्मगुरुओं से शांति की अपीलें से लेकर हर वो रणनीति अपनाई जिससे सड़कों पर भीड़ आने से रोका जा सके.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...