Misleading Ads Case: जिस शख्स और संस्था की जैसी नीयत होती है वह गाहेबगाहे उजागर हो ही जाती है. अपनेआप को योगगुरु के रूप में देशभर में प्रसिद्ध कर के ‘सेठ’ और धंधेबाज की भूमिका में आ चुके रामदेव की एक बात फिर पोल देश की सब से बड़ी अदालत में खुल चुकी है. रामदेव के प्रोडक्ट्स पर जो टिप्पणी आई है वह गौर करने लायक है.

सिर्फ इसलिए कि आप सत्ता के साथ गलबहियां डाले फिरते हैं, देश की जनता के साथ झूठ और फरेब का खेल करने लगें और दोनों हाथों से रुपए कमाने की योजना बनाएं तो आप के गेरुए वस्त्र पर प्रश्न लग जाता है.‌ देश की जनता को यह पूछने का अधिकार बनता है कि आप ने क्यों ऐसे कपड़े पहन कर इतना नीचे गिर रहे हैं कि झूठ पर झूठ का किला खड़ा कर रहे हैं.

याद रहे कि रामदेव ने एक बार खुद कहा था- ‘मीडिया के कारण ही हमारा सम्राज्य चंद वर्षों में कहां से कहां पहुंच गया है. यही कारण है कि देश की अधिकतर मीडिया में और सारे बड़े चैनलों में उन के करोड़ों रुपए के विज्ञापन चल रहे हैं, उन का चेहरा दिखाया जा रहा है. और यह भी जनता के दिमाग में स्थापित किया जा रहा है कि रामदेव आप के स्वास्थ्य को ले कर एक ब्रैंड बन चुका है और फलांफलां दवाइयां आदि इनइन बीमारियों में कारगर हैं.

रामदेव ने दरअसल लोगों को भ्रमित किया है. यही कारण है कि देश की उच्चतम न्यायालय ने इसे बड़ी गंभीरता से लेते हुए रामदेव के संपूर्ण कारोबार पर जो टिप्पणी की है वह बताती है कि रामदेव धनदौलत के लिए कितना नीचे गिर चुके हैं कि झूठ पर झूठ बोल रहे हैं. अपने प्रोडक्ट बेच कर रुपए कमाने के लिए सब को अपनी जेब में रखने की फितरत रखते हैं. यह तो अच्छी बात है कि देश का उच्चतम न्यायालय इस पर गंभीर है वरना रामदेव क्याकुछ कर गुजर सकते हैं, इस की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.

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