कांग्रेसी नेता शशि थरूर के बारे में हरेक की अपनी एक अलग राय हो सकती है, जिस का औसत निचोड़ यह निकलेगा कि वे एक सैक्सी और रोमांटिक नेता हैं. यह पहचान दिलाने में भगवा गैंग और समूचे दक्षिणपंथ की पुरजोर कुंठित कोशिशें भी हैं. लेकिन हर कोई यह भी जानता है कि वे एक पर्याप्त शिक्षित बुद्धिजीवी, संभ्रांत और अभिजात्य जमीनी नेता हैं, जिस के नाम वैश्विक स्तर के कई सम्मान और रिकौर्ड दर्ज हैं. एक सफल स्थापित लेखक और स्तम्भकार भी वे हैं.
भारतीय राजनीति में सक्रिय और स्थापित हुए उन्हें अभी 15 साल भी पूरे नहीं हुए हैं, पर इस अल्पकाल में वे अपनी खास पहचान गढ़ने में कामयाब हुए हैं. खासतौर से कांग्रेस की तो वे जरूरत बन चुके हैं.
बावजूद इस हकीकत के कि गांधीनेहरू परिवार के प्रति अंधभक्ति उन में नहीं है, लेकिन कांग्रेस के मद्देनजर इस परिवार की जरूरत को वे भी नकार नहीं पाते.
इन्हीं शशि थरूर ने 2 दिन पहले एक अमेरिकी टैक कंपनी के दफ्तर के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि इंडिया गठबंधन 2024 के चुनाव में बहुमत ला भी सकता है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस की तरफ से बतौर प्रधानमंत्री राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे नामांकित किए जा सकते हैं.
यह एकाएक यों ही दिया गया वक्तव्य नहीं है, बल्कि इसे कांग्रेसी रणनीति का एक हिस्सा ही माना जाना चाहिए, जो भविष्य को ले कर काफी उत्साहित है और उस की अपनी ठोस वजहें भी हैं.
एक तरह से शशि थरूर ने एक बार फिर से दलित प्रधानमंत्री की सनातनी मांग को उठाया है. साथ ही, राहुल गांधी का नाम विकल्प के रूप में पेश कर दिया है.
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