हिंदुस्तान के किसी न किसी कोने में लोकतंत्र का त्योहार होता ही रहता है. कुछ महीनों पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव हुए. इन दोनों की प्रदेशों में भाजपा को करारा झटका लगा. हरियाणा में तो भाजपा ने जुगाड़ कर सरकार बना ली लेकिन महाराष्ट्र में सियासी नाटक के बाद बीजेपी से सत्ता छीन गई. बीजेपी ने खूब कोशिश की लेकिन बात नहीं बन सकी. अब झारखंड में चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण का मतदान हो गया है. दूसरे चरण का मतदान के लिए 20 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान होगा. इसमें 13 सीटें कोल्हान और सात सीटें दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की हैं. इन सीटों पर 2014 के चुनाव में भाजपा और झामुमो बराबरी पर रहे थे. इस बार भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाने की तो झामुमो को अपने गढ़ बचाने की चुनौती है.

इस चुनाव में सबसे 'हौट सीट' जमशेदपुर (पूर्वी) विधानसभा क्षेत्र बनी हुई है, जहां से मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव मैदान में उतरे हैं. मिथक है कि राज्य में जितने भी मुख्यमंत्री बने हैं, उन्हें चुनाव में हार का स्वाद चखना पड़ा है. इसलिए सबके मन में यह सवाल आ रहा है कि क्या दास इस मिथक को तोड़ पाएंगे?

दास की पहचान झारखंड में पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की है. बिहार से अलग होकर झारखंड बने 19 साल हो गए है परंतु रघुवर दास ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पर हार का मिथक तोड़ने को लेकर भी लोगों की दिलचस्पी बनी हुई है.

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