आख़िरकार उम्मीद के मुताबिक कांग्रेसी नेता राहुल गांधी से सांसदी छीन ली गई क्योंकि उन्हें सूरत की एक अदालत ने मानहानि के एक आरोप में 2 साल की सजा सुनाई थी. लेकिन क्या यह इतना बड़ा गुनाह था जितनी की सजा दे दी गई, इससे सहमत होने की कोई वजह नहीं. आज लोकतंत्र को श्रद्धांजलि देने का दिन है क्योंकि जो हुआ है उसमें भगवा गैंग का भय साफ़ दिखाई दे रहा है कि यह कहनेसुनने की बात नहीं है कि वह राहुल गांधी से डर गई थी. क्या है यह विवाद जिसमें मनमानी की सारी हदें तोड़ दी गईं, इसे सिलसिलेवार समझने के लिए नवंबर2020 में चलना पड़ेगा जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कश्मीर में कहा था कि-

`यह गुपकार संगठन और कांग्रेस कश्मीर के माहौल में जहर घोलना चाहते हैं, उसे अंधेरे में ढकेलना चाहते हैं. अब्दुल्लाओं, मुफ्तियों और गांधियों ने मिलकर यही किया. आज गांधी परिवार कश्मीर के अब्दुल्ला व मुफ़्ती परिवार के साथ है तो उसकी वजह यह है कि मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाकर इनकी लूट पर रोक लगा दी है.` इस आरोप पर किसी बुद्धिमान कांग्रेसी को यह नहीं सूझा था कि यह बयांन आईपीसी धाराओं 499 और 500 के तहत गांधी परिवार की मानहानि होती है जिसमें गांधी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की गई है.गांधी परिवार पर ऐसी टिप्पणियां बेहद आम हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगवा गैंगके दूसरे, तीसरे, चौथे और तमाम निचले दर्जों के नेता प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गांधियों को कोसते रहते हैं और इस बाबत उन्हें अब पानी पीने की भी जरूरत नही पड़ती.

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