मध्यप्रदेश में 7 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ा उलटफेर करने के लिए आम आदमी पार्टी को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. अरविंद केजरीवाल ने इस की शुरुआत मुफ्त की बिजली वगैरह के दाने से कर तो दी है लेकिन भोपाल की पब्लिक मीटिंग में उन्होंने मुद्दत बाद भगवा गैंग और उस के सरदार नरेंद्र मोदी की दुखती रग पर हाथ यह कहते रख दिया कि जो भी हो लेकिन प्रधानमंत्री पढ़ालिखा होना चाहिए. कहने को तो मोदीजी की एम ए की मार्कशीट काफी पहले सार्वजनिक की जा चुकी है लेकिन उस के निर्माण, प्रस्तुतीकरण और विश्वसनीयता पर शक हर किसी को है.

अब भक्त लोग कह रहे हैं कि 4 किताबें पढ़ लेने से कोई विद्वान नहीं हो जाता. फिर मोदीजी तो उपअवतार टाइप कुछ हैं जिन की अगुआई में देश हिंदू राष्ट्र घोषित होने जा रहा है. इस रामायण का सार यह कि विद्वान होने के लिए शिक्षित होना जरूरी नहीं और हर शिक्षित आदमी विद्वान हो, यह किसी वेद, पुराण, संहिता, स्मृति या उपनिषद में नहीं लिखा.

 बाबा साहेब के बेटे और बाबा

कोई पाखंडी अगर हमें आंख दिखाएगा तो इलाज हो जाएगा. यह धौंस बाबा बागेश्वर धाम के गढ़ छतरपुर में घुस कर भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर रावण ने दे दी लेकिन बेहतर उन का यह कहना होता कि अगर दलित समुदाय के लोग इन बाबाओं के झांसे में आना बंद कर दें तो चमत्कार यह होगा कि उन की सामाजिक व आर्थिक स्थिति चमत्कारिक ढंग से सुधर जाएगी.  आखिर कब तक ऊंची जाति वाले इन बाबाओं को दानपुण्य करते लुटते रहेंगे? अब तो धर्म की दुकानें दलित, पिछड़े और आदिवासियों के पैसों से ज्यादा चल रही हैं जिस से ये लोग और पिछड़ते जा रहे हैं.

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