उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दलितों के मसीहा भीमराव अंबेडकर के नाम के साथ राम जोड़ा तो खासा बवाल मचा था. योगी की इच्छा को अमलीजामा पहनाते राष्ट्रीय अनुसूचित/ जनजाति आयोग कभी भी यह फरमान जारी कर सकता है कि अब तमाम सरकारी लिखापढ़ी में अंबेडकर का नाम भीमराव रामजी अंबेडकर लिखा जाए.

दलित नेताओं और राम का संबंध बड़ा दिलचस्प है. सिया राम मय सब जग जानि .... की तर्ज पर लगभग सभी प्रमुख दलित नेताओं के नाम के आगे, पीछे या बीच में राम जुड़ा हुआ है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा बाबू जगजीवनराम, कांशीराम, रामविलास पासवान और रामदास अठावले इस के उदाहरण हैं. अब भला अंबेडकर क्यों रामविहीन रहें, लिहाजा, उन्हें भी दलितों का राम बनाने की तैयारी में हर्ज क्या है.

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