कभी पत्रपत्रिकाएं और सरकारी रेडियो ही मीडिया हुआ करते थे जो इलैक्ट्रौनिक और सोशल मीडिया जैसे शब्दों से होतेहोते औनलाइन मीडिया तक आ पहुंचे हैं. सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी इन दिनों परेशान हैं कि इस पसरते औनलाइन मीडिया को कैसे काबू करें जिस से कि 2019 के चुनाव में दिक्कत पेश न आए. दिक्कत यह है कि आजकल हर वह शख्स मीडिया है जिस के हाथ में स्मार्टफोन है. दिक्कत यह भी है कि यही शख्स सामग्री निर्मित करता है और वितरित भी यही करता है.

स्मृति ईरानी ने औनलाइन मीडिया के पर कुतरने को एक कमेटी बनाई है जिस में मजाक की इकलौती बात यह है कि औनलाइन मीडिया का ही कोई प्रतिनिधि नहीं है. सरकार के 5 विभागों के अलावा इस कमेटी में प्रैस काउंसिल औफ इंडिया, नैशनल ब्रौडकास्टिंग एसोसिएशन और इंडियन ब्रौडकास्टिंग एसोसिएशन से एकएक प्रतिनिधि लिया गया है. अब होगा यह कि सरकार जैसे चाहेगी वैसे नियम बन जाएंगे और उन की आड़ में उन छोटीछोटी मछलियों को फंदे में फांसा जाएगा जिन का उपभोक्तावर्ग संगठित मीडिया से कम नहीं है.

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