भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अपने सैनिक नहीं भेजेगा, बल्कि पुनर्निर्माण और विकास कार्यों पर ही जोर देगा. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ वार्ता के बाद साझा बयान के दौरान यह बात कही.

द्विपक्षीय वार्ता में भारत और अमेरिका ने रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के तौर तरीकों के साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे पाक और अफगानिस्तान से जुड़े अहम मुद्दों पर भी चर्चा की. सीतारमण ने कहा कि हमारे पड़ोस की स्थिति और सीमापार आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर विस्तार से चर्चा हुई. रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने माना कि आतंकवाद को सरकारी नीति के तौर पर इस्तेमाल करने वालों पर शिकंजा कसा जाए.

रक्षा मंत्री के मुताबिक, मैटिस ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वह पाक के समक्ष उसकी धरती से उपज रहे आतंक का मुद्दा उठाएंगे. पाक को परोक्ष चेतावनी देते हुए मैटिस ने कहा, आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाह को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

‘उन्नत रक्षा तकनीक साझा करने पर विचार’

अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने कहा, हम रक्षा व्यापार और तकनीकी सहयोग बढ़ाने के रास्ते खोज रहे हैं. इसके तहत अमेरिका भारत के साथ उन्नत रक्षा तकनीक साझा करने पर विचार कर रहा है. भारत ने पिछले एक दशक में अमेरिका से एक हजार करोड़ रुपये के हथियार खरीदे हैं. सैन्य विश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिका चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत से सैन्य सहयोग बढ़ाने का उत्सुक है. दोनों देश भारत को 22 गार्डियन ड्रोन की आपूर्ति करने की डील पर आगे बढ़ रहे हैं. जून में अमेरिका ने पहली बार किसी गैर नाटो सहयोगी को ऐसे ड्रोन देने की मंजूरी दी थी.

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