दो फाड़ होने की कगार पर पहुंचे जनता दल (यूनाइटेड) में नीतीश कुमार और शरद यादव के खेमों के बीच असली पार्टी होने व चुनाव चिह्न के दावों कों लेकर जंग तेज हो गई है. खुद को असली जदयू बताते हुए शरद यादव धड़े ने 17 सितंबर को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. दूसरी तरफ नीतीश खेमे ने चुनाव आयोग में जाकर खुद को असली जदयू बताते हुए मौजूदा पार्टी चुनाव चिह्न उसी को आवंटित करने की मांग की है.
इससे पहले 25 अगस्त शरद यादव खेमे ने चुनाव आयोग में जाकर खुद को असली जदयू बताते व चुनाव चिह्न पर दावा ठोका था. शुक्रवार को नीतीश खेमे ने चुनाव आयोग में अपना प्रतिवेदन पेश करते हुए चुनाव चिह्न पर अपना दावा जताया है. जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह व पार्टी महासचिव के सी त्यागी ने चुनाव आयोग से कहा है कि जदयू के पदाधिकारी, विधायक व अधिकांश सांसद जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ हैं. इसलिए पार्टी का चुनाव चिह्न उनको आवंटित किया जाए.
शरद यादव खेमा चुनेगा कार्यकारी अध्यक्ष
शरद खेमे ने 17 सिंतबर को दिल्ली के मावलंकर हाल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. इस खेमे की राष्ट्रीय परिषद की बैठक 18 सितंबर की बजाय अब 8 अक्टूबर को होगी. जदयू के संविधान के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की अनुपस्थिति में वरिष्ठ उपाध्यक्ष कार्यकारिणी की अध्यक्षता कर सकता है. बैठक के दौरान ही कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा.
सांसद-विधायकों से नहीं कार्यकर्ता से बनती है पार्टी
शरद खेमे के नेता अरुण श्रीवास्तव ने कहा है कि सांसद व विधायक भले ही नीतीश के साथ हों, लेकिन अधिकांश पदाधिकारी राज्य इकाईयां व कार्यकर्ता शरद यादव के साथ हैं. कोई भी पार्टी सांसदों व विधायकों से नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं से बनती है. उन्होंने शरद यादव की सदस्यता खारिज करने की मांग पर कहा कि शरद यादव कुर्सी से चिपकने वाले नेताओं में नहीं रहे हैं.
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