पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम भड़के हुए हैं. वजह, उन के व्यवसायी बेटे कीर्ति के व्यावसायिक मित्रों के यहां चेन्नई में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मारे गए छापे हैं बावजूद इस के कि इन छापों के 48 घंटे पहले वे आपातकाल और सलमान रुशदी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेस’ के प्रतिबंध को अपनी सरकार की गलती मान चुके थे.

अपने पूर्व आकाओं राजीव और इंदिरा गांधी की निंदा तक से ये एजेंसियां नहीं पसीजीं तो जाहिर है देश के मौजूदा आका अपनी पर उतारू हो आए हैं और कांग्रेसी नेताओं व उन के चिरंजीवों को चुनचुन कर बता रहे हैं कि घोटालों का परदाफाश लोकतंत्र के हित में बेहद जरूरी है. यही वक्त की मांग और तकाजा है. अब, जिसे तिलमिलाना है वह तिलमिलाता रहे.

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