वैसे तो किसी सरकार का कोई रंग नहीं होना चाहिये. लोकतंत्र में वोटबैंक की जरूरत ने सरकार को अलग अलग रंग में बांट दिया है. कहीं खादी है तो कही लाल, कहीं नीला है तो कहीं हरा, अब भगवा भी इसका हिस्सा बन गया है. ऐसे में उस रंग का कपड़ा पहनने वाले को उस पार्टी से जोड़ दिया जाता है. भगवा जैसे कपड़े पहनने वाले ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनके चाचा शिवपाल के बारे में सवाल पूछा तो अखिलेश यादव भड़क गये. चेहरा गुस्से से तनतना गया. सवाल से ज्यादा गुस्सा इस बात पर था कि सवाल भगवा जैसे कपड़े पहनने वाले ने पूछा. असल बात यह है कि अब कोई नेता यह नहीं चाहता कि उससे ऐसे सवाल हों, जो उसे असहज कर सकें. अखिलेश यह मानते हैं कि भगवा कपड़े पहन कर लोग उत्पात कर रहे हैं.

अखिलेश यादव अपने परिवार के झगड़े को शुरू से ही दूसरों द्वारा भड़काया मान रहे हैं. चुनाव में इस झगड़े से उनको काफी नुकसान हुआ. इस झगड़े के पीछे वह छिपे तौर पर भाजपा का हाथ मानते भी रहे हैं. यही वजह है कि अखिलेश हमेशा से ही भाजपा को चालाक लोगों की पार्टी कहते रहे हैं. भाजपा के सामने करारी हार के बाद उनका गुस्सा काबू से बाहर हो गया. मीडिया के बदले रुख का आकलन अखिलेश को हो गया है. ऐसे में वह अपने गुस्से को काबू में नहीं रख पाये. परिवार के झगड़े पर अखिलेश ने कहा कि किसी एक तय दिन उनसे सवाल कर लिये जायें और बारबार यह सवाल न हो.

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