Waqf Board : मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है और उसे किस तरह उस से छीना जाए, मसजिदों पर पंडोंपुजारियों को कैसे बिठाया जाए, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है. इस के लिए एक्ट में संशोधन के बहाने भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामैंट्री कमेटी का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए कुछ मुसलिम नेता तो शामिल किए गए लेकिन उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
वक्फ संपत्तियों को ले कर मोदी सरकार की नीयत पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस तरह देशभर में मसजिदों के नीचे मंदिर तलाशे जा रहे हैं और मसजिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, दरगाहों की जमीनों से मुसलिम समुदाय को खदेड़ने की कोशिशें की जा रही हैं, वह एक लोकतांत्रिक देश के भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसी घटनाओं का संज्ञान ले कर समयसमय पर सरकार को फटकार न लगाए, कान न उमेठे और बुलडोजर की तालाबंदी न करे तो ध्रुवीकरण की बदौलत सत्ता की चाशनी चाटने वाली संघ और भाजपा की सरकारें (केंद्र और राज्य) देश में गृहयुद्ध की स्थितियां पैदा कर दें.
मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है, उसे किस तरह उन से छीना जा सकता है, उसे किस तरह सरकार अपने हाथों में ले सकती है, मसजिदों की जगहें पंडेपुजारियों को कैसे सौंपी जाएं, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है.
इस के लिए बाकायदा भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामैंट्री कमेटी (जेपीसी) का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए मुसलिम नेता शामिल किए गए जबकि उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उलटे, हंगामा करने और काम में बाधा बनने के आरोप लगा कर उन को कभी निष्कासित किया गया, कभी अध्यक्ष की मनमानी देख कर वे खुद वाकआउट कर गए.
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