Trending Debate : किसी भाषा को पैदा होने, बढ़ने और समृद्ध होने में सदियों का समय लगता है. और किसी भाषा को मिटा कर कोई समाज या कोई देश कभी समृद्ध नहीं हुआ. भाषा को औजार बना कर दो संप्रदायों के बीच नफरत पैदा करने वालों को कोई बताए कि कठमुल्लापन उर्दू की देन नहीं, बल्कि घटिया शिक्षा नीतियों की देन है, जो देश के बच्चों को एक समान बेसिक शिक्षा तक उपलब्ध कराने में नाकाम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस वक्त दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी का बड़ी गर्मजोशी से गले लग कर जोरदार स्वागत कर रहे थे, जिस समय वे अरब देशों के साथ अपने रिश्तों के नए दौर का संदेश पूरे भारत को दे रहे थे, जिस समय वे मुस्लिम देशों के साथ अपने गहरे संबंधों का प्रदर्शन कर रहे थे और यह दिखाना चाह रहे थे कि इन रिश्तों में गर्माहट उन के निजी प्रयासों से आई है, ठीक उसी समय कुछ लोग उर्दू को कठमुल्लापन बनाने की भाषा से जोड़ रहे थे. उर्दू को हथियार बना कर मुसलमानों पर प्रहार कर रहे थे.
उत्तर प्रदेश के स्पीकर सतीश महाना ने कहा था कि सदन की कार्यवाही अंग्रेजी के अलावा चार अन्य भाषाओं में ट्रांसलेट की जाएगी. इस के बाद नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने अंग्रेजी में अनुवाद कराने पर आपत्ति जताते हुए उर्दू में भी अनुवाद करने की मांग की. क्योंकि उर्दू एक भारतीय जुबान है और अधिकांश लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है. इस पर उन्हें मौलाना होने की गाली सी दे दी गई.
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