पाकिस्तान के पेशावर में 20 जनवरी, 2016 को कुछ सिरफिरों ने धर्म के नाम पर हिंसा का ऐसा तांडव किया कि पाकिस्तान समेत समूची दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई. पाकिस्तान में यह आतंकवाद का घिनौना रूप था, जिस में कुल 21 लोग मारे गए, जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए थे. इस बार दहशतगर्दों के निशाने पर बाशा खान यूनिवर्सिटी थी. यह यूनिवर्सिटी पेशावर के दक्षिणपश्चिम में तकरीबन 50 किलोमीटर दूर चारसद्दा जिले में है. ‘सीमांत गांधी’ अब्दुल गफ्फार खान उर्फ बाशा खान की याद में इस यूनिवर्सिटी का नाम रखा गया.
बुधवार, 20 जनवरी, 2016 को बाशा खान यूनिवर्सिटी में ‘सीमांत गांधी’ अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि के मौके पर एक मुशायरा कराया गया था. यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डाक्टर फजल रहीम ने बताया कि उस समय वहां 3 हजार से ज्यादा छात्र और 6 सौ मेहमान मौजूद थे.
सुबह के 9 बज कर 35 मिनट पर यूनिवर्सिटी पर आतंकी हमले की खबर आई थी. आतंकवादियों की एक टोली मेन गेट से गार्डों को गोली मार कर अंदर घुसी थी, जबकि दूसरी टोली कोहरे का फायदा उठा कर दीवार फांद कर भीतर आई थी.
इस के बाद आतंकवादियों ने छात्रों व शिक्षकों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं. पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के नेता और प्रांतीय सांसद शौकत यूसुफजई ने बताया कि इस हमले को तकरीबन 10 हमलावरों ने अंजाम दिया था. 4 आतंकवादियों को तो सिक्योरिटी बलों ने मार गिराया था.
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन तहरीक ए तालिबान (पाकिस्तान) ने ली. उस के एक प्रवक्ता उमर मंसूर ने बताया कि यह हमला पेशावर स्कूल हमले के दौरान सिक्योरिटी फोर्स द्वारा मारे गए आतंकवादियों का बदला लेने के लिए किया गया था.
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