काला धन के नाम पर हाल ही में हुए नोटबंदी और उसके बाद पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में सेना की तैनाती से राज्य में लगभग हर स्तर पर बौखलाहट है. इसे आपातकाल जैसी स्थिति मान कर आम जनता में रोष दिख रहा है. आम जनता का एक बड़ा हिस्सा मान रहा है कि नोटबंदी तक तो भी ठीक था, लेकिन बगैर राज्य सरकार की अनुमति के टोल प्लाजा में सेना उतारने को जनता गंभीरता से ले रही है.

जनता में भी आशंका है कि सेना कार्रवाई ममता बनर्जी की तख्तापलट की कोशिश है. लेकिन जनता की मजबूरी है कि महीने के दूसरे दिन लोग बैंकों व एटीएम में कतार में खड़ी है. वरना आज राजभवन तक तृणमूल के मार्च में बड़ी संख्या में जनता शामिल होती.

मोदी के हाल के कदमों के मद्देनजर राज्य में यह धारणा बनती जा रही है कि चूंकि ममता बनर्जी ने नोटबंदी को देश का सबसे बड़ा घोटाला बता कर मोदी को सीधे चुनौती दे दी है. मोदी के राजनीतिक जीवन में विराम लगाने की भी ममता बनर्जी ने कसम खायी है, इसीलिए मोदी सरकार ने राजनीतिक हिंसा और बदले की कार्रवाई के तहत राज्य में सेना की तैनाती कर मुख्यमंत्री को धमकाने की कोशिश की है. जनता के एक बड़े हिस्से का यह भी मानना है कि ढ़ाई सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंकुश चेहरा लगातार सामने आ रहा है. इसे किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. कम से कम प. बंगाल बर्दाश्त नहीं करेगा.

इससे पहले इंडिगो के प्लेन में ईंधन खत्म हो जाने के मामला को भी राज्य की जनता संदेह की नजर से देख रही थी. राज्य सरकार की अनुमति के बगैर सेना की तैनाती को भी राज्य की जनता इसीसे जोड़ कर देख रही है. गौरतलब है कि जिस विमान से ममता बनर्जी पटना से कोलकाता लौट रही थीं, कोलकाता एयरपोर्ट के ऊपर प्लेन को लगभग आधा घंटे चक्कर लगाते रहना पड़ा. इतने समय में प्लेन में ईंधन खत्म होने को आया, तब जाकर प्लेन को लैंडिंग की अनुमति दी गयी. एयरपोर्ट ने अपनी सफाई में कहा था कि मुख्यमंत्री का प्लेन आठवें नंबर पर था. सात प्लेन की लैंडिंग कराए जाने के बाद मुख्यमंत्री के प्लेन की लैंडिंग करायी गयी. साथ में यह भी कहा गया है कि इससे पहले लैंडिंग कराए गए प्लेन 'लो ऑन फ्यूल' का संकेत दे रहा था इसीलिए इनकी लैंडिंग पहले करायी गयी.

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