Loksabha Election 2024 : चुनावी माहौल का कुछ लोग जमकर लुत्फ भी उठा रहे हैं. उन्हें समझ आ गया है कि जब तुक की कोई बात होनी ही नहीं है तो क्यों न अपन भी बहती गंगा में हाथ धोते अपने उसूलों व लैवल की बेतुकी बातें करें. यह और बात है कि ऐसे लोगों को विधर्मी, नास्तिक, अर्बन नक्सली और वामपंथी करार दे कर धकिया जाता है. लेकिन इस के बाद भी वे पूरी मजबूती यानी बेशर्मी से मौजूद हैं तो उन की इच्छाशक्ति भी भगवान टाइप के लोगों और भक्तों से उन्नीस नहीं. इकलौता लोचा तादाद का है, तो ‘नाई नाई बाल कितने’ की तर्ज पर वह भी 4 जून को सामने आ ही जाना है.

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इधर गौर करने लायक एक और बात यह भी है कि ब्रैंडेड कथावाचक बागेश्वर बाबा, देवकीनंदन खत्री, मोरारी बापू और तो और कुमार विश्वास तक भी अघोषित और अनिश्चितकालीन अवकाश पर हैं. वे अपने एयरकंडीशंड आश्रमों में गरमी गुजार रहे हैं कि कब इन की कथा खत्म हो तो हम अपनी दुकान खोलें. वैसे भी, ये लोग सालभर प्रत्यक्षअप्रत्यक्ष भाजपा के लिए ही वोट मांगते रहे हैं. अब जिस को वोट चाहिए वह राष्ट्रीय चौमासा कर रहा है. कहीं भी बड़ी धार्मिक रामकथा नहीं हो रही है क्योंकि जब सब से बड़ा कथावाचक हवाई जहाज से घूमघूम कर देशभर में राजनीतिक रामकथा बांच रहा हो तो इन छुटभइयों की जरूरत भी नहीं. इतना तो इन्होंने भी राम नाम की कृपा से जमा कर रखा है कि सात पुश्तें बिना हाथपांव हिलाए इत्मीनान से बैठ कर खा लें. फिर महीनेदोमहीने के घाटे को क्या रोना-झींकना.

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