कुंभ के आयोजन पर 2019 के आम चुनाव की राजनीति को साफ देखा जा सकता है. इसके चलते अब कुंभ धर्म का नहीं राजनीति का कुंभ बनकर रह जा रहा है.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कुंभ को अपने सरकारी प्रचार प्रसार का जरीया बना रही है. कुंभ की तैयारी में पूरी सरकारी मशीनरी जुट गई है. कुंभ का आयोजन इलाहाबाद में होता था. इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज हो गया है. इस बार प्रयागराज में सरकार कुंभ को नये अंदाज में मनाने जा रही है. इसके बीच ही प्रयागराज से सटे वाराणसी जिले में 100 से ज्यादा मेहमानों को बुलाया जा रहा है. इसका नाम भी कुंभ से जोडकर ‘प्रवासी कुंभ’ रखा जा गया है.

वैसे यह प्रवासी भारतीयों का सम्मेलन है. 21 से 23 जनवरी 2019 के बीच होने वाले इस आयोजन में अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी जोड़ा गया है. इसमें अयोध्या से जुडी राम की कहानी भी दिखाई जायेगी. काशी के 200 सालों की कहानी भी बताई जायेगी. असल में काशी में हो रहे ‘प्रवासी कुंभ’ को भी प्रयागराज के आयोजित कुंभ से जोडकर तैयार किया गया है.

इलाहाबाद में कुंभ के महत्व को देखें तो हर 6 साल के बाद अर्द्व कुंभ और 12 साल के बाद कुंभ का आयोजन यहां होता रहा है. पिछला कुंभ 2013 में हुआ था. इस हिसाब से 2019 में अर्द्व कुंभ और 2025 में कुंभ का आयोजन होना है. 2019 के अर्द्व कुंभ के समय ही लोकसभा के आम चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कुंभ को चुनाव में धर्मिक मुददा बनाने के लिये अर्द्व कुंभ को ही कुंभ का नाम दे दिया है.

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