वन बेल्ट वन रोड नीति के तहत चीन के विस्तार को नाकाम करने के लिए जापान भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को एक साथ लाना चाहता है. इसके लिए वह इन चारों देशों के नेताओं के बीच रणनीतिक वार्ता का प्रस्ताव देगा.
जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने एक अखबार को दिए साक्षात्कार में यह बात कही. कोनो ने कहा, उम्मीद है कि प्रधानमंत्री शिंजो आबे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से 6 नवंबर को होने वाली अपनी मुलाकात के दौरान इस संबंध में प्रस्ताव रखेंगे. इस प्रस्ताव में जापान भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं को दक्षिणपूर्व, दक्षिण और मध्य एशिया की समस्त भूमि और समुद्र के दायरे के अलावा मध्यपूर्व और अफ्रीका तक मुक्त व्यापार और रक्षा सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कहा जाएगा.
अखबार ने कोनो के हवाले से कहा, हम ऐसे युग में हैं जिसमें जापान को कूटनीतिक रूप से जोर लगाते हुए एक बड़ी रणनीतिक तस्वीर बनानी है. कोनो ने कहा, इस प्रस्ताव का उद्देश्य समुद्र को मुक्त और खुला बनाए रखना है. इसमें अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के मुद्दों पर बातचीत निश्चित रूप से शामिल होगी. जापान की मंशा एशिया से अफ्रीका तक एक उच्च स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने की है.
जापानी नेता का यह बयान ऐसे समय आया है, जिससे पहले मंगलवार को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महाधिवेशन में राष्ट्रपति शी जिन¨पग के महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड योजना पर मुहर लगाई जा चुकी है. इससे इस योजना का महत्व और बढ़ चुका है. उस पर सफलता हासिल करने के लिए दबाव भी बढ़ गया है. चीन इस योजना के जरिये पूरी दुनिया पर दबदबा बनाने की जुगत में है. वन बेल्ट वन रोड के जरिए चीन की 60 से अधिक देशों को जोड़ने की योजना है.
भारत वन बेल्ट वन रोड में शामिल हो : शुआंग
चीन ने कहा है कि भारत को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड योजना पर अपनी आपत्तियां छोड़ देनी चाहिए और इसमें शामिल हो जाना चाहिए. चीन ने कहा कि इससे कश्मीर मुद्दे पर बीजिंग का रुख नहीं बदलेगा.
चीन के विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां कहा, हम वन बेल्ट वन रोड पहल में भागीदारी के लिए भारत समेत अन्य देशों का स्वागत करते हैं. इस योजना का उद्देश्य सभी देशों की साझा समृद्धि और क्षेत्रीय देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना है. यह पहल संबंधित मुद्दों पर चीन के रुख को प्रभावित नहीं करेगी. संबंधित पहलों पर हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा. गौरतलब है कि वन बेल्ट वर रोड योजना में चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी शामिल है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरेगा.