जम्मू कश्मीर की कुल 90 सीटों पर विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन में 47 सीटें कश्मीर में हैं, जबकि 43 सीटें जम्मू में हैं. जम्मू रीजन की सभी 30 हिंदू बहुल सीटों को भाजपा ने हर हाल में जीतने का लक्ष्य तय किया है. लोकसभा चुनावों में इन में से 29 सीटों पर भाजपा आगे चल रही थी. साथ ही भाजपा जम्मू के राजौरी क्षेत्र की करीब 7 सीटों पर जहां हिंदू वोटर निर्णायक भूमिका में हैं उसे भी जीतने की प्लानिंग कर रही है. भाजपा का प्लान है कि कश्मीर घाटी में पार्टी सिर्फ 25 विधानसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी. बाकी 22 सीटों पर निर्दलीयों और स्थानीय पार्टियों के उम्मीदवारों को भाजपा समर्थन दे सकती है. ये भी कहा जा रहा है कि भाजपा हब्बा कदल, बारामूला समेत घाटी की कुछ अन्य सीटों पर कश्मीरी पंडितों को उम्मीदवार बना सकती है.
श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के करीब 22 हजार रजिस्टर्ड वोट हैं. भाजपा की प्लानिंग है कि इन्हें अधिक से अधिक संख्या में इकट्ठा कर के वोट डलवाया जाए. एक लाख 22 हजार विस्थापित कश्मीरी पंडितों में से करीब 70 हजार के वोट रजिस्टर हो चुके हैं, उन को भी वोट कास्ट कराने की तैयारी पार्टी कर रही है.
चुनावों के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी की पीर पंजाल क्षेत्र में ताकत बढ़ी है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली भी अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं. जुल्फिकार अली को कट्टरपंथी नेता माना जाता है. चौधरी जुल्फिकार अली जम्मू व कश्मीर की राजनीति में लंबे वक्त से सक्रिय रहे हैं. वे पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े रहे और उन की सरकार में मंत्री भी रहे. जुल्फिकार अली ने जम्मू व कश्मीर सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिन में शिक्षा मंत्री, खाद्य आपूर्ति मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री जैसे पद शामिल हैं. इन पदों पर रहते हुए, उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई कदम उठाए. जुल्फिकार अली का प्रभाव मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र में देखा जाता है और वे इस क्षेत्र के लोगों के मुद्दों को ले कर काफी मुखर भी रहे हैं. इन के भाजपा से जुड़ने पर भाजपा को काफी फायदा पहुंचेगा.
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