जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. हालांकि 10 साल पहले जम्मू कश्मीर राज्य के लिए चुनाव हुए थे, अब केंद्र शासित प्रदेश के लिए जनता वोट डालेगी. आर्टिकल 370 और 35ए के खात्मे के बाद पहली बार यहां की जनता विधानसभा चुनावों में भाग लेगी. जम्मू कश्मीर में मतदान की तारीखें करीब आने के साथ ही चुनाव प्रचार में तेजी आ गई है. इस बार जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर, दूसरे चरण का 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान एक अक्तूबर को होगा. मतगणना चार अक्तूबर को कराई जाएगी. तब सैद्धांतिक रूप से राज्य का प्रशासन स्थानीय विधानसभा के जरिए चुने गए मुख्यमंत्री के पास आ जाएगा. मुख्यमंत्री के पास एक मंत्रिपरिषद होगी और यह कुछ कुछ वैसा ही होगा जैसे 2018 के पहले था. हालांकि इन चुनावों से बनने वाली नई सरकार के पास पहले जैसी वैधानिक शक्तियां नहीं होंगी.
चुनाव के बाद भी जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा. चुनी हुई सरकार के पास केवल शिक्षा और संस्कृति जैसे मसलों पर नाममात्र के ही अधिकार होंगे. अहम फैसले केंद्र सरकार ही करेगी. प्रदेश की नई सरकार को अधिकार देने के लिए उस के राज्य के दर्जे को बहाल करना होगा. कांग्रेस सहित नैशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी ने कश्मीर की अर्ध-स्वायत्तता को वापस दिलाने के लिए कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ने की बात कही है.
विधानसभा के लिए नैशनल कौन्फ्रेंस और कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए हाथ मिलाया है. लाख कोशिशों के बाद भी पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) इस में शामिल नहीं हो सकी. हालांकि पीडीपी के इस गठबंधन में शामिल होने की चर्चा बहुत थी. कांग्रेस और नैशनल कौन्फ्रेंस सीटों का बंटवारा भी कर लिया है. पीडीपी अब अकेले चुनाव मैदान में है. इस से पहले लोकसभा चुनाव में भी दोनों दलों ने अकेलेअकेले चुनाव लड़ा था.