एक के बाद एक मिली कई चुनावी असफलताओं के बाद बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती एक बार फिर अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत को समेटने की कोशिश में हैं. इस वक्त उन का पूरा ध्यान हरियाणा के विधानसभा चुनाव पर है और उत्तर प्रदेश में उपचुनाव भी होने वाले हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मायावती ने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को पूरे अधिकार के साथ मैदान सौंप दिया है. आकाश आनंद को मायावती ने दिसंबर 2023 में अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था, लेकिन भाजपा के खिलाफ उन के आक्रोशपूर्ण भाषणों से डर कर मायावती ने उन से सभी अधिकार छीन लिए थे.
4 जून 2024 में लोकसभा चुनाव में भाजपा का हश्र देख कर मायावती का डर कुछ कम हुआ तो एक बार फिर उन का अपने भतीजे पर भरोसा जगा और आकाश को उन के पदों पर पुनः बहाल कर अपनी बेदम पार्टी में जान फूंकने का काम सौंप दिया.
गौरतलब है कि 29 वर्षीय आकाश आनंद की राजनीतिक शुरुआत 2017 में हुई थी. वह 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के समय अपने तेजतर्रार भाषणों के कारण चर्चा में रहे. उन पर असंसदीय भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगा और उन के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हुई. इस के मायावती डर गईं और उन्होंने आकाश को अपरिपक्व कह कर अपने उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया.
लोकसभा चुनाव के बीच आकाश को सक्रिय राजनीति से हटाए जाने के फैसले के कारण पार्टी से जुड़े युवाओं को बहुत निराशा हुई थी. आकाश के बगावती तेवर और भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर उन का सीधा हमला दलित युवाओं के मन को भा रहा था. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम द्वारा दिए भड़काऊ नारे – ‘तिलक, तराजू और तलवार, इन को मारो जूते चार’, के बाद कुछ वैसे ही तेवर आकाश आनंद के भाषणों में भी नजर आ रहे थे, मगर मायावती इस से बेतरह डर गईं क्योंकि उत्तर प्रदेश में उन के कार्यकाल में हुए लाखों करोड़ों रुपये के घोटालों के सारी फाइलें भाजपा के पास हैं, जिस के चलते मायावती कभी भी जेल की सलाखों के पीछे जा सकती हैं.