नागरिकता संशोधन बिल अब कानून का रुप ले चुका है. पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. हिंसक प्रदर्शन की आग असम, गुवाहटी के बाद केरल, हैदराबाद तक पहुंची. लेकिन यहां इतना उग्र प्रदर्शन नहीं हुआ. अब नंबर था बंगाल का. यहां पर प्रदर्शनकारियों ने पांच रेलगाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. खैर, इतना अच्छा रहा कि उस वक्त वो सभी ट्रेनें खाली पड़ी हुई थी. अब नंबर था राजधानी दिल्ली का. यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा नागरिक संशोधन कानून के विरोध का मामला तूल पकड़ चुका है. रविवार शाम दिल्ली के जामिया नगर से लगे सराय जुलैना के पास डीटीसी की तीन बसों को आग लगाने से बात शुरू हुई और फिर राजधानी दहल उठी. जामिया के छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने यूनिवर्सिटी में घुसकर उनसे मारपीट की.

शुरुआत से समझिए

असल में दिल्ली के जामिया इलाके में छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ शुक्रवार को ही आंदोलन शुरू किया था. उस दिन पुलिस और छात्रों में हल्की नोंकझोंक भी हुई थी लेकिन बात बढ़ती गई और धीरे धीरे इस छात्रों के इस प्रदर्शन में ऐसे लोग भी शामिल हो गये जिन्हें उपद्रवी कहा जाता है.जामिया की वीसी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि हिंसा वाली प्रदर्शन का कॉल तो स्थानीय लोगों ने दिया था.

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रविवार को तकरीबन 12 बजे ओखला, शाहीन बाग से प्रदर्शनकारी जुटना शुरू हो गए. एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन 30 से 40 हजार लोग वहां प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान कई मार्गों को रोका गया लेकिन तब तक प्रदर्शन हिंसक या उग्र नहीं हुआ था. इसके बाद लगभग दोपहर के दो बजे केबाद प्रदर्शनकारियों की ओर से जामिया नगर और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में बसों में तोड़फोड़ की गई. दिल्ली के ओखला, जामिया और कालिंदी कुंज वाले इलाके में सरकारी बसों को आग के हवाले करने की घटना सामने आई. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थराव किया, जिसके बाद अराजक तत्वों के जामिया मिलिया परिसर में होने के संदेह में पुलिस अंदर घुसी और कैंपस को खाली कराया. साथ ही कई छात्रों को हिरासत में लिया गया. इस दौरान छात्रों ने पुलिस पर बर्बरता करने का आरोप लगाया और जामिया कैंपस में हिंसा के खिलाफ रात 9 बजे से पुलिस मुख्यालय पर बैनर-पोस्टर के साथ विरोध प्रदर्शन करने पहुंच गए थे.

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