श्रीलंका में इन दिनों भारी उथलपुथल मची हुई है, लोग महंगाई से त्रस्त हैं और आम जनजीवन ठप है. सड़कों पर लोगों के भारी प्रदर्शन बता रहे हैं कि श्रीलंका में कुछ भी ठीक नहीं. इस स्थिति का जिम्मेदार चीन को ठहराया जा रहा है, पर जितना जिम्मेदार चीन है उस से कहीं ज्यादा राजपक्षे ब्रदर्स की नीतियां हैं.

सतयुग में हनुमान ने सोने की लंका जला कर राख कर दी थी और कलियुग में राजपक्षे ब्रदर्स के कारण श्रीलंका में आग लगी हुई है. सत्ता में बने रहने के लिए जनता से लोकलुभावने वादे, खोखली योजनाएं और चीन के कर्ज के जाल में फंस कर सोने की लंका दिवालिया होने की कगार पर है. भारत का यह पड़ोसी देश अपने इतिहास के सब से बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.

पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को राशन, ईंधन, रसोई गैस, पैट्रोलडीजल जैसी रोजमर्रा की चीजों के लिए लंबी कतारों में खड़े देखा जा रहा है. आसमान छूती महंगाई के साथ जनता को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इन समस्याओं को ले कर जनता में राजपक्षे सरकार के खिलाफ गहरा रोष पैदा हो गया है और वह ‘घर जाओ गोटबाया’ के पोस्टर हाथ में ले कर सड़कों पर है. आएदिन किसी न किसी कोने से जनता और पुलिस के बीच टकराव की खबरें आ रही हैं.

जनता के विद्रोह को दबाने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर के श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लगा दिया था, लेकिन 2 दिनों बाद ही श्रीलंका सरकार की पूरी कैबिनेट ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उन के भाई व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा नहीं दिया है और विपक्ष के कुछ नेताओं को नए मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता दिया है ताकि देश की आर्थिक समस्या से निकलने में साथ मिल कर रास्ता ढूंढ़ा जा सके.

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