Israel Hamas Ceasefire: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20 सूत्री ग़ज़ा शान्ति योजना ने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर हलचल मचा दी है. ट्रंप ने इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदगी में ग़ज़ा में शांति का प्रस्ताव रखा है. कहा जा रहा है कि 20 बिंदुओं पर आधारित इस शांति योजना के तहत ग़ज़ा में लड़ाई रुक जाएगी, इज़राइली बंधक रिहा होंगे, हमास का निशस्त्रीकरण होगा और ग़ज़ा के प्रशासन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय 'बोर्ड ऑफ़ पीस' गठित किया जाएगा, जिसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल होंगे.

बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की योजना का समर्थन तो किया है मगर उन्होंने गेंद फिलहाल हमास के पाले में डाल दी है और कहा है कि अगर योजनानुसार हमास सारी शर्तें मान लेता है तो इससे इज़राइल के वे मकसद पूरे होंगे जिनके लिए ये युद्ध शुरू हुआ था.

हमास ने इस योजना पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उसने कहा है कि उसे हफ्ते भर का वक्त लगेगा क्योंकि वो इसकी समीक्षा में जुटा है. ट्रंप ने कहा है कि इस शांति योजना के तहत, यदि सभी शर्तें पूरी होती हैं तो भविष्य में फ़िलिस्तीन राष्ट्र के निर्माण का रास्ता भी खुल सकता है. पर हमास यदि इस योजना को स्वीकार नहीं करता है तो इसका बहुत बुरा अंजाम होगा. हालांकि, नेतन्याहू ने भी साफ़ कह दिया है कि वे ट्रंप-योजना का समर्थन करते हैं मगर इसका मतलब फ़िलिस्तीन राष्ट्र का निर्माण करना नहीं है और यदि ऐसा होता है तो इज़राइल इसका पूरी ताकत से विरोध करेगा.

विश्लेषक मानते हैं कि यदि नेतन्याहू इस शांति समझौते को पूरी तरह मान लेते हैं और यह लागू हो जाता है तो वे घरेलू स्तर पर फंस जाएंगे. दरअसल, नेतन्याहू की लिकुड पार्टी कई कट्टरवादी पार्टियों के साथ सरकार चला रही है. ये दल ग़ज़ा से किसी भी सूरत में पीछे हटना नहीं चाहते हैं. इन दलों में वित्त मंत्री बेज़ेलेल स्मोट्रिच की पार्टी भी शामिल है जिसके पास 14 सीटें हैं. ट्रंप की शांति योजना के केंद्र में ग़ज़ा को क़ब्ज़े से मुक्त करना है. ये स्मोट्रिच जैसे नेताओं को कभी भी स्वीकार्य नहीं होगा. नेतन्याहू के अमेरिका जाने से पहले ही स्मोट्रिच ने कह दिया था कि कुछ चीजों पर समझौता नहीं करना है. इनमें ग़ज़ा से इज़राइली सेना का पीछे हटना भी शामिल है.

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