बीते दिनों एक आरटीआई (सूचना के अधिकार) उत्तर पर आधारित एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश के सैनिक स्कूलों के निजीकरण पर आपत्ति दर्ज कराते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है.

इस पत्र में उन्होंने लिखा कि देश में पहले 33 सैनिक स्कूल थे जो पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित संस्थान और रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के तहत एक स्वायत्त निकाय, सैनिक स्कूल सोसाइटी (एसएसएस) के तत्वावधान में संचालित थे. 2021 में केंद्र की मोदी सरकार ने देश भर में कोई 100 सैनिक स्कूलों की सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मौडल पर स्थापित करने का निर्णय लिया.

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीपीपी मौडल पर सैनिक स्कूलों की स्थापना को रेखांकित करते हुए कहा है कि देश के सैनिक स्कूल सैन्य नेतृत्व और उत्कृष्टता के प्रतीक रहे हैं मगर 2021 में केंद्र सरकार ने बड़ी बेशर्मी से सैनिक स्कूलों के निजीकरण की पहल की और देश के 100 नए सैनिक स्कूलों में से 40 के लिए निजी संस्थाओं-व्यक्तियों से करार कर लिया.

खरगे का आरोप है कि एमओयू होने वाले 40 स्कूलों में से 62 फीसदी स्कूलों से जुड़ा करार भाजपा-संघ परिवार से संबंधित लोगों और संगठनों के साथ किया गया है, जो देश के लिए खतरनाक साबित होगा. उन्होंने दावा किया कि एमओयू करने वाले लोगों में एक मुख्यमंत्री का परिवार, कई विधायक, भाजपा के पदाधिकारी और संघ के नेता शामिल हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि आजादी के बाद से ही अपने यहां सशस्त्र बलों को किसी भी पक्षपातपूर्ण राजनीति से दूर रखा गया है. ऐसे में घोर दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों द्वारा इन स्कूलों का संचालन देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित होगा. उन्होंने राष्ट्रपति से विनती की है कि इस निजीकरण नीति को पूरी तरह से वापस लिया जाए और रद्द किया जाए.

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