उत्तर कोरिया का नेता किम जोंग उन दुनिया के सब से क्रूरतम तानाशाहों में से है. ऐसे खूंखार सिरफि रे तानाशाह से अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी थर्राता है. इस सनकी तानाशाह ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर सब को चौंका दिया है. जैसा कि वह दावा कर रहा है. 8 जनवरी को किम ने अपना 33वां जन्मदिन मनाया, लेकिन इस से 2 दिन पूर्व हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर दुनिया को ऐसा सबक दिया कि चीन, जापान और अमेरिका में भूचाल आ गया.
किम जोंग उन अपने पिता किम जोंग इल और दादा किम जोंग संग से भी खतरनाक है. वह आतंक के जरिए उत्तर कोरिया में शासन करना चाहता है. किम इतना क्रूर है कि उस ने अपने फूफा को खूंखार शिकारी कुत्तों के हवाले कर दिया. पिछले वर्ष अपने रक्षा मंत्री को तोप से उड़ा दिया. उस की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह एक सैन्य कार्यक्रम में सो गया था, जिस में किम जोंग उन मौजूद था. किम जोंग उन के पिता की मृत्यु 2011 में हो गई तब से किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया की कमान अपने हाथों में ली. तब से अब तक वह 70 से अधिक नेताओं व अधिकारियों को मौत के घाट उतार चुका है.
इस सनकी तानाशाह से वहां के लोग परेशान हैं. पूरे देश की आर्थिक हालत चरमराई हुई है. यूनीसेफ की रिपोर्ट की मानें तो उत्तर कोरिया की कुल आबादी तकरीबन ढाई करोड़ है. इस आबादी में 60 लाख लोग ऐसे हैं जिन के पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम तक नहीं है. ह्यूमन राइट्स अब्यूजेज की रिपोर्ट के आंकड़े तो और भयावह हैं. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में उत्तरी कोरिया में 17 बंधकों को सरेआम मार डाला जबकि 2013 में यह आंकड़ा 80 पार कर गया. ऐसे ही साल 2013 में आई रिपोर्ट कहती है कि किम जोंग ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 1 लाख 20 हजार नेताओं को अलगअलग कारागारों में मामूली सी बातों पर सनक कर बंद कर दिया था.
इस तानाशाह ने वहां के नियमकायदे अपने अनुसार बना रखे हैं. नियम भी ऐसेवैसे नहीं, वहां हर किसी को जाने की इजाजत नहीं है. पर्यटकों के लिए कई तरह की पाबंदियां हैं. वहां पर्यटकों को बिना गाइड के घूमने पर पाबंदी है. पर्यटक अपने होटल से तभी बाहर निकल सकता है जब उस के साथ कोई गाइड हो. कैमरा, लैपटौप और मोबाइल की अनुमति नहीं है. पर्यटकों को वहां लोकल करैंसी इस्तेमाल करने की भी इजाजत नहीं है. वे या तो यूएस डौलर, यूरो या फिर चीन की करैंसी युआन ही इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां तक कि उस ने अपने नाम तक का पेटेंट करवा रखा है. कोई भी नागरिक अपने बच्चे का नाम ‘किम जोंग उन’ नहीं रख सकता. अगर जिस किसी का पहले से ही यह नाम है तो उसे फरमान सुना दिया गया है कि वह अपना नाम जन्म प्रमाणपत्र से बदलवा ले वरना इस की सजा तो वहां के नागरिक जानते ही हैं.
सत्ता संभालने से पहले वह स्विट्जरलैंड में रहता था. वहीं से उस ने पढ़ाई की है, इसलिए किम को स्विज चीजें, रफ्तार से दौड़ती कारें और तेजतर्रार लड़कियां ज्यादा भाती हैं. उत्तर कोरिया के लोग चाहे भूख से मरें या बीमारी से, किम को किसी की परवा नहीं. जबकि दक्षिण कोरिया के मुकाबले उत्तर कोरिया की प्रति व्यक्ति आय 17 गुना कम है. गरीबी वहां की बड़ी समस्या है पर किम जोंग उन को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता. अपनी ऐयाशी और सैन्य ताकतों को मजबूत बनाने के लिए वह कुछ भी कर सकता है. माना जाता है कि इस सनकी को अगर गुस्सा आ जाए तो मिनटों में क्या कर दे, किसी को पता नहीं.
दुनिया में ऐसे तानाशाहों की कमी नहीं जिन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए खून की नदियां बहा दीं. जरमनी को एडोल्फ हिटलर ने यूरोप की धरती को यहूदियों के खून से रंग दिया. मुअम्मर अल गद्दाफी, जिसे कर्नल गद्दाफी के नाम से जाना जाता है, ने 42 साल तक लीबिया में राज किया और अरब देशों में तानाशाही व भ्रष्टाचार के बलबूते खूब पैसा बनाया. ट्यूनीशिया और मिस्र में गद्दाफी के खिलाफ खूब प्रदर्शन हुए. बाद में गद्दाफी एक संदिग्ध हमले में मारा गया.
इसी तरह एक और तानाशाह इदी अमीन ने युगांडा में 1971 में सत्ता हथिया ली. अमीन का शासनकाल, कहने को तो महज 8 साल रहा लेकिन वहां की जनता के लिए यह 80 साल से कम नहीं था. इदी अमीन पर 50 हजार लोगों को मारने का इल्जाम लगा. वह कम उम्र की लड़कियों का शौकीन था. वह शादीशुदा था और 5 पत्नियां व दर्जनों बच्चे थे. बावजूद इस के, कम उम्र की लड़कियों के साथ रंगरेलियां मनाने से वह बाज नहीं आता था. साल 2003 में उस की मौत हो गई तब जवान होती लड़कियों ने राहत की सांस ली. एक तानाशाह ऐसा था जिस का नाम याह्या खां था. वह 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का कारण बना. उस ने 1969 में पाकिस्तान की सत्ता संभाली और वहां मार्शल कानून लागू कर दिया था.
इसी तरह अमेरिका के नाक में दम कर देने वाला एक तानाशाह सद्दाम हुसैन भी था जिस ने इराक में 2 दशकों तक राज किया. उस ने सुन्नी मुसलमानों के बीच अलग छवि बनाई और अलग समूह भी बनाया. अमेरिका उसे मारने का वर्षों तक प्रयास करता रहा पर अमेरिकी सैनिकों की आंखों में वह धूल झोंकता रहा. आखिरकार अमेरिकी सैनिकों ने उसे ढूंढ़ निकाला. वह टिकरित के पास एक बंकर में छिपा मिला और कड़े सुरक्षा घेरों के बीच उसे फांसी पर लटका दिया गया. ऐसे कई तानाशाह हुए हैं जो खुद तो बरबाद हुए ही, साथ ही, अपने मुल्क को भी बरबाद कर गए.
किम जोंग उन को लगता है कि उस के साथ ऐसा कुछ नहीं होगा. किम के पास परमाणु बमों का जखीरा है, इसलिए वह बाकी मुल्कों को धौंस दिखाता रहता है. जानकार मानते हैं कि उत्तर कोरिया ऐसे ही धौंस नहीं दिखाता. भले ही चीन आज हाइड्रोजन बम को ले कर उस की निंदा कर रहा हो लेकिन कहीं न कहीं चीन, उत्तर कोरिया को दिशानिर्देश देने में पीछे नहीं है. चीन पूरे प्रशांत महासागर में राज करना चाहता है. अमेरिका इस बात से बेखबर नहीं है, इसलिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जौन किर्बी ने साफ शब्दों में कह दिया कि उत्तर कोरिया के सभी उकसावों का उचित जवाब देंगे. अमेरिका को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा है, इसलिए वह उस दावे की सचाई जानने के लिए टोही विमान भेज कर सुबूत इकट्ठा करने में जुट गया है.
हाल में खबर आई है कि उत्तर कोरिया लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपित करने की तैयारी में है. इस बात की पुष्टि सैटेलाइट तसवीरों के विश्लेषण से भी की जा रही है. यह खबर ऐसे में और चिंताजनक व गंभीर हो जाती है जब बीते दिनों उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण का दावा किया था. दिलचस्प यह भी है कि इस खबर को ले कर सब से ज्यादा कान अमेरिका व जापान के खड़े हुए हैं. उत्तर कोरिया की सनक व तानाशाही से भरे फैसलों का विध्वंसक हथियारों से संबंध पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है. अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार तो यहां तक कहते हैं कि चीन दुनिया में अपनी धमक बनाने व अमेरिका पर दबाव डालने के मकसद से उत्तर कोरिया को उकसाने का काम करता है. अगर इस थ्योरी में सचाई है तो एक हद तक वह अपनी इस कूटनीति में शायद सफल भी रहा है.
इस मामले में सब से दुखद पहलू यही है कि सत्ता, दैनिक, ऐयाशी व हथियारों की सनक के चलते यह मुल्क तबाही के कगार पर आ गया है. अगर किम जोंग उन अपनी सनक छोड़ कर देश की संपदासंपत्ति का इस्तेमाल देश की जनता के लिए करता तो उत्तर कोरिया की भी हालत दक्षिण कोरिया सरीखी संपन्न व खुशहाल होती. इस बीच, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भी इस की कड़ी निंदा की और कहा कि हाइड्रोजन बम परीक्षण हमारे देश के लिए गंभीर खतरा है. चीन की दुविधा यह है कि उत्तर कोरिया के इस परीक्षण से चीनी सीमा पर अस्थिरता का माहौल पैदा हो सकता है और वह अपने पड़ोस में खतरनाक हथियारों की होड़ से घबरा भी रहा है कि इसे कैसे रोका जाए. इस के लिए कई बार अधिकारियों ने यह कोशिश भी की कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और किम जोंग उन की मुलाकात हो पर अभी तक ऐसा हो न सका.
इधर, किम जोंग उन को इस परीक्षण से एक मजबूती मिली है. लेकिन किम के शासन में उत्तर कोरिया में अराजकता की स्थिति बनी हुई है और लाखों शरणार्थी चीन की तरफ कूच कर रहे हैं.