किसी भी देश की सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था  और न्याय क्षमता अक्सर वहां के नामी और प्रभावशाली लोगों के मामलों में अदालती फैसलों के दौरान दिखती है. हमारे यहां तो लगभग हर नेता दागी है और ये नेता-मंत्री खुद पर चल रहे अपराधिक मामलों को अपनी बहादुरी का तमगा बताकर चलते हैं. क्योंकि इन्हें पता है कि तारीख पर तारीख के सिद्धांत पर चलने वाली हमारी कानूनी प्रक्रिया में इन्हें सजा तो मिलनी नहीं है. उल्टा जेल से चुनाव लड़ने की सुविधा अलग से मिलती है.

ली म्यूंग बाक हैं दोषी 

लेकिन हर देश में ऐसा नहीं है. दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति ली म्यूंग बाक को भ्रष्टाचार के मामले में 15 साल के कारावास की सजा सुनाई गई. उन्हें रिश्वतखोरी और धन के गबन समेत अन्य आरोपों में दोषी पाया गया था लिहाजा उन्हें यह सजा सुनाई गयी. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान वर्ष 2011 में उसने खुद ली की पत्नी को एक लाख डौलर की रकम सौंपी थी. इस मामले में उन्हें सिओल की एक जिला अदालत ने 13 अरब वौन का जुर्माना देने का आदेश भी दिया गया है.

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति महोदय हमारे देसी नेताओं की तर्ज पर रिश्तेदारों और सहयोगियों की जेबें भी भरते थे. वहां की स्थानीय न्यूज एजेंसी के मुताबिक़, राष्ट्रपति ली ने कई आरोपों से इनकार किया. लेकिन उन्होंने कुछ तथ्यों को स्वीकार किया है. उदाहरण के लिए उन्होंने एक लाख डौलर की रकम लेने की बात कबूली है. इसे उन्होंने कथित रूप से एनआईएस से लिया था. उन्होंने इस धन का क्या किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी और बाकी की रकम लेने की बात भी खारिज की.

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