पूरा देश जहां कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है, वहीं हमारे देश के चौकीदार आलीशान सरकारी बंगलों में दुबक कर जनता को भाषण देकर अपना ज्ञान बघार रहे हैं. कोरोना से बचाव के लिए लाक डाउन की घोषणा तो हो गई, लेकिन इसके लिए कोई पूर्व तैयारी न होने से लोगों के समक्ष रोजमर्रा की जरूरतों की बस्तुओं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. देश का कोई भी बड़ा नेता या जनप्रतिनिधि जनता के बीच नहीं पहुंचा है.

कोरोनावायरस से बचाव के लिए जनससेवक की भूमिका हमारे देश के डाक्टर, नर्सेस, पैरा मेडिकल स्टाफ, सरकारी अफसर, पुलिस जवान  , मीडिया कर्मी और बड़ी संख्या में कर्मचारी अधिकारी निभा रहे हैं. मध्यप्रदेश के गांव कस्बों में सुदूर जिलों से आये कृषि मजदूरों को खाने पीने की जिम्मेदारी छोटी छोटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने पूरी की तो प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हे बसों से उनके गंतव्य तक पहुचाने का काम किया.

मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर जिला देश का पहला जिला है जहां नरेंद्र मोदी से भी पहले 23 मार्च को लौक डाउन षुरू हो गया था .मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में 21 मार्च को 4 कोरोना पाज़ीटिव केस मिलने की खबर ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया.कमलनाथ सरकार की बिदाई हो चुकी थी. यैसे में प्रदेश के अफसरों ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सख्त कदम उठाने का फैसला किया. 22 को देश में प्रधानमंत्री के  आह्वान पर जनता कर्फ्यू चल रहा था. जबलपुर से सटे नरसिंहपुर जिले के डीएम दीपक सक्सेना और एसपी डा.गुरूकरण सिंह ने आपात बैठक बुलाई और 23 से पूरे जिले में लाक डाउन की घोषणा कर दी.

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कोरोनावायरस का खतरा इन दूरदर्शी अधिकारिओं ने पहले ही भांप लिया था. लाक डाउन के दिन डीएम और एसपी की जोड़ी जब सड़कों पर उतरी तो जिले की जनता ऐसे जनसेवकों पर‌ नाज कर उठी. लाक डाउन के दौरान जिले के कोने कोने में घूमकर इन अफसरों ने न केवल कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रति जनता को जागरूक किया,बल्कि जनता की तकलीफों को दूर भी किया. गाडरवारा तहसील के एसडीएम राजेश शाह ने जिले में फंसे शहडोल जिले के मजदूरों को खाना पीना की व्यवस्था के साथ उन्हें उनके घर भी पहुंचाया. 28 मार्च से पूरे जिले में होम डिलीवरी की सुविधा देकर लोगो को जयरी दवाइयों के साथ फल ,सब्जी ,दूध और किराना सामग्री घर घर पहुंचाने की व्यवस्था कर सख्ती से लौक डाउन का पालन जनता से करवाया .

 

जांबाज अफसरों ने जनता के मन में छुपे उस भ्रम को दूर  कर दिया कि असली जनसेवक सफेद पोश नेता नहीं है. 26 मार्च को जनता को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लाक डाउन में सुबह 7 बजे से 12 बजे तक ढील देकर फल सब्जी, दूध, किराना ,आटा चक्की की दुकानें खोलने का निर्णय लेकर सोशल डिस्टेसिंग का पूरा ख्याल रखा गया. दुकानों के सामने मार्किंग करके भीड़ को कुशलता के साथ काबू में किया गया.किसानों को कृषि कार्य में राहत देते हुए थ्रेसर, हार्वेस्टर चलाने और डीजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने में ये अफसर सफल रहे.

जब शहरों में फंसे मजदूर रोजी-रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे थे तो पुलिस के जवानों ने घरों से खाना लाकर उनकी पेट पूजा कराई. नर्मदा सुगर मिल सालीचौका के विनीत माहेश्वरी ने आस पास के गांव कस्बों में सेनाटाइजर को बांट कर लोगों को कोरोना वायरस से बचने के लिए जागरूक करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.मगर कोई भी जनप्रतिनिधि या राजनेता अपनो बंगलों से बाहर नहीं निकला.

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गांव कस्बों में काम करने वाले डाक्टरों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई . गाडरवारा के डा संजय मोदी ने लोगों को फ्री मेडिकल चैक अप की सुविधा मुहैया कराई तो तेंदूखेड़ा के डा शचीन्द्र मोदी ने 50 हजार रूपये की रकम जिला आपदा प्रबंधन के लिये अवश्यक दवांये ,मास्क और सेनेटाइजर खरीदने के लिये  प्रदान की .

 

अपने आपको देश का चौकीदार बताने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए कोरोना वायरस का डर तो दिखा दिया, लेकिन इससे बचाव के लिए  डाक्टरों और अस्पतालों के लिए कोई सरक्षा के इंतजामात नहीं किये. उल्टे जनता को ताली और थाली बजाने की नसीहत दे डाली. प्रधानमंत्री के इस कदम की दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डाक्टर देवब्रत महापात्र ने खुला पत्र लिखकर आलोचना की. उन्होंने लिखा कि देश के सरकारी अस्पतालों में डाक्टर किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं.मुश्किल हालातों में काम कर रहे डॉक्टरों के पास गुणवत्तापूर्ण गाऊन, उपकरण और मास्क तक नहीं हैं.सोशल मीडिया पर लिखे इस पत्र के जरिए उन्होंने देश के मुखिया को नसीहत दी कि यदि वे डाक्टरों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरण नहीं दे सकते तो थाली बजाकर उनका मजाक न उड़ाएं.

जहां एक ओर‌ हमारे देश के डाक्टर अपनी जान जोखिम  में डालकर कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं और हमारा समाज इन्हे प्रताड़ित कर रहा है. दिल्ली के साथ देश के इलाकों में मक़ान मालिक उन डाक्टर और‌ नर्सो से मकान खाली करवाने की धमकी  दे रहे हैं जो‌ कोरोना का इलाज कर‌ रहे हैं.

आज  देश में फैली इस महामारी के दौर में जनता के सच्चे जनसेवक इन डाक्टरों, नर्सों और सरकारी अफसरों पर हमें गर्व है . यह भारतीय लोकतंत्र की विडंबना ही है कि अपने स्वार्थो की खातिर नोट और शराब की बोतलों में वोट खरीदने वाले राजनेता देश के हुक्मरान बने बैठे हैं. कोरोना की इस जंग ने लोगों को सचेत जरूर किया है कि वे अपने कीमती वोट से यैसे जनसेवकों का चुनाव करें ,जो उनके बुरे वक्त में उनके साथ खड़ा रह सके .

नेताओं का डरा रहा कोरोना

अपने आपको जनता का सेवक कहने वाले नेता कोरोना के कहर से इस कदर भयभीत हैं कि वे जनता के दुख दर्दो से कन्नी काट रहे हैं . न्यूज चैनलों पर लंबी चैड़े भाषण देने वाले भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और क्वालिफाईड डाॅ संबित पात्रा ने जनता को कोइ्र मदद करने की बजाय अपने आपको घर में कैद कर लिया है . कमलनाथ सरकार के गिरते ही मध्यप्रदेश के छतरपुर जिला भाजपा जिलाध्यक्ष माखनसिंह की अगुआई में भाजपाई जुलूस निकालकर जस्न मनाते नजर आये , लेकिन जब कोरोना का खतरा बढ़ तो जनता के बीच जाने से कतरा रहे हैं . मध्यप्रदेश के एक पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री बनने के लिये खूब भागदौडत्र करते रहे ,परन्तु जब शिवराज के रहते उनकी दाल नहीं गली तो आने आपको कोरोना से बचाने अपने घर पर नाती पोतों के साथ खेलने पढ़ाई करने के वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं .

मध्यप्रदेश के कांग्रेसी नेता भी कोरोना की परवाह किये बिना सरकार बचाने दिल्ली ,बेंगलरू तक दौड़ धूप करते रहे और जब सरकार गिरी तो जनता से मुंह मोड़ अपने आपको घरों में आइसोलेट कर लिया. छत्तीसगढ़ के एक विधायक ने तो हद ही कर दी .प्रधानमंत्री के जनता कर्फयू के दौरान वेमेतरा के विधायक आशीष छावड़ा ने अपने घर पर नेताओं का हुजूम इकट्ठा कर बकायदा कोरोना से बचाव के लिये हवन और पूजा पाठ तक करवा दिया .

देश के गरीब ,पिछड़े और दलितों को किसी पाप योनि का मानने वाले नेताओं की कमी नहीं है .सरकार के नूमाइंदे इन गरीबों को चंद दिनों के लिये दो वक्त की रोटी का इंतजाम न कर सके . इसी बजह से एक राज्य से दूसरे राज्य अपने घर जाने सडको पर पलायन कर रही मजदूरों की भीड़ ने बिना प्लानिंग किये गये लौक डाउन पर सबाल खड़े कर दिये हैं .

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